Bettiah Raj: 80 साल बाद खोला गया बेतिया राज का खजाना!

बेतिया राज पिछले कुछ महीनों से चर्चा में है, इसका कारण है बेतिया राज को लेकर एक नया बिल, यह बिल 26 नवंबर 2024 को राजस्व व भूमि सुधार मंत्री के द्वारा बिहार विधान परिषद में पेश किया गया, तब ही से बेतिया राज अपने जमीनों और अपने खज़ाने को लेकर चर्चा में हैं। एक बार फिर ये सुर्खियों में है क्योंकि बिहार के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के स्ट्रांग रूम में रखे बेतिया राज के खजाने को खोला जा रहा है, अभी सिर्फ एक बक्सा खोला गया है, और पांच बक्से खुलने बाकी है।

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Image: Bettiah Times Library 

80 साल बाद खोला गया बेतिया राज का खजाना 

बेतिया राज बिल के पास होने के बाद ही इसकी जमीनों की खोज भी शुरू कर दी गई थी, अब इसके अनुसार बेतिया राज के खजानो को भी खोलना और असल मूल्य का आकलन करना बाकी है।

अभी स्टेट बैंक आफ इंडिया बिहार के स्ट्रांग रूम में रखें एक बक्से को खोला गया है बक्सा खोलते ही एक बार फिर बेतिया राज चर्चा में आ गया है दरअसल इस बक्से में बेश कीमती गहने और अन्य मूल्यवान चीजें मिली है, अभी इसके जैसे 5 और बक्से हैं जो स्टेट बैंक की स्ट्रांग रूम में रखे हैं और उनका खुलना अभी बाकी है। 

बेतिया राज का संक्षिप्त इतिहास 

बेतिया राज के इतिहास के संदर्भ में बता दें की बेतिया राज के आखिरी राजा राजा हरेंद्र किशोर की मृत्यु 26 मार्च 1893 में हुई थी, राजा की कोई संतान नहीं थी जिसके कारण यह राज उनकी पहली महारानी शिव रतन कुंवर के हाथ में चला गया कुछ समय पश्चात 24 मार्च 1896 में महारानी शिव रतन कुंवर की भी मृत्यु हो गई, महारानी जानकी कुंअर को इस राज के लिए असमर्थ मानकर यह राज कोर्ट आफ वार्ड को सौंप दिया गया, तब से लेकर पिछले साल तक यह राज 'कोर्ट ऑफ वार्ड्स' के अंदर ही रहता है, बिहार सरकार के नए अधिनियम के अनुसार बेतिया राज को अब राज्य सरकार की संपत्ति में सम्मिलित किया जाएगा।

क्या मिला बक्से में?

विभागीय सूत्रों के मुताबिक खोले गए बक्से में सोना व चांदी के कई गहने तथा बेतिया राज मैनेजर द्वारा बैंक को लिखा पत्र भी मिला। 

इन गहनों में मुख्यतः सोने की दो मटरमाला और एक हार मिला जो देखने में हीरो का लगता है, चांदी मढ़ा आईना, अगरबत्ती स्टैंड सिंदूर दानी, पान बट्टा आदि भी मिला है। इनकी की जांच के बाद यह साबित होगा कि यह सारी चीज सोने,चांदी या हीरे की है या नहीं और यह भी की इन खजाने की आज के समय में मूल्य क्या है?

यह सभी सामान कागज में बहुत ठीक तरीके से लपेट कर रखे गए थे, क्योंकि यह बक्सा 1910 के दौरान बंद किया गया था तो इसमें उसे वक्त के बेतिया राज मैनेजर के द्वारा बैंक को लिखा पत्र भी है इसमें रुपया जमा करने और इसकी रसीद देने की बात कही गई है। 

80 साल पहले यानी 1945 में इन बक्सों को इंपीरियल बैंक आफ इंडिया, बिहार के में ब्रांच में रखवाया गया था 1 जुलाई 1955 के बाद इस बैंक को स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के नाम से जाना जाने लगा। 

तब से लेकर अब तक यह 6 बक्से संपूर्ण सिक्योरिटी के साथ बंद थे जिसे अब खोला जा रहा है। इस दौरान पूरे गतिविधि की वीडियोग्राफी की गई है, हथियारबंद पुलिस के अलावा बिहार सरकार व बैंक के बड़े अधिकारी तथा पटना जिला प्रशासन द्वारा तय न्यायिक अधिकारी मौजूद थे, बक्से से निकले सामान को देखने के बाद उसे उसी बक्से में रखकर नए पीपी स्टील के बक्से में रखकर सील कर दिया गया है बाकी बक्से की खोलने की प्रक्रिया भी इसी प्रकार रहेगी। इसी के साथ-साथ बिहार सरकार बेतिया राज की जमीनों को भी अपने अंतर्गत करने की योजना पर निरंतर कार्य कर रही है।

ऐसे में देखना कही दिलचस्प रहेगा की बेतिया राज का दौलतखाना में क्या-क्या मिलता है? 

क्यों उठाया सरकार ने यह कदम?

बेतिया राज अपने गौरवशाली इतिहास को लेकर काफी प्रसिद्ध रहा है, कई सालों इस राज के जमीनों को अतिक्रमाणित किया जा रहा है, पश्चिम चंपारण के 66% और पूर्वी चंपारण के 60% जमीन पर अवैध कब्जा है, बेतिया राज्य की 143 एकड़ जमीन उत्तर प्रदेश में, जिसमें कुशीनगर(61.16 एकड़), महाराजगंज(7.53 एकड़), वाराणसी(10.13 एकड़), गोरखपुर(50.92 एकड़), प्रयागराज(4.54 एकड़), बस्ती(6.21 एकड़) तथा अयोध्या(1.86 एकड़) में जमीन है। 

बेतिया राज की जमीनों का कुल विवरण जानने के लिए यह वीडियो डॉक्यूमेंट्री जरूर देखें।

इन सब आंकड़ों और 1990 की मुख्य चोरी जिसे एशिया की सबसे बड़ी चोरी कहा जाता है को देखते हुए राजस्व व भूमि सुधार मंत्री श्री दिलीप जयसवाल ने बिहार विधान मंडल ने यह बिल पेश किया था। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य है अतिक्रमण को हटाना तथा इसे बिहार के विकास में इस्तेमाल करना।

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