आज ही के दिन 16 नवंबर 1966 को भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना हुई थी जिस दिन पूरे भारत में राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है। पश्चिम चंपारण समाहरणालय के सभा भवन में राष्ट्रीय प्रेस दिवस के उपलक्ष में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसका विषय था-* चेंजिंग नेचर आफ प्रेस.
परिचर्चा की अध्यक्षता अपर समाहर्ता राजीव कुमार सिंह और संचालन पत्रकार प्रोफेसर अजय कुमार मिश्रा ने किया। इस मौके पर डीपीआरओ रोचना मादरी, श्रीमती नगमा तबस्सुम, पश्चिम चंपारण प्रेस क्लब के अध्यक्ष मोहन सिंह एवं भारतीय जो मीडिया पत्रकार संघ राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर अमानुल हक मौजूद रहे। परिचर्चा शुरू होने से पहले अपर समाहर्ता, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, मोहन सिंह, डॉक्टर अमानुल हक एवं प्रोफेसर अजय कुमार मिश्रा में संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुभारंभ किया। उसके बाद सर्वप्रथम अपर समाहर्ता राजीव कुमार सिंह ने परिचर्चा के विषय पर प्रकाश डाला। अपने संबोधन में प्रोफेसर अजय कुमार मिश्रा ने भारत में
पत्रकारिता के इतिहास पर अपना प्रकाश डाला। डा0 अमानुल हक ने संबोधन में कहा कि केवल पत्रकारिता में ही बदलाव नहीं आया है प्रशासनिक पदाधिकारी के नेचर में भी बदलाव आया है, जिसके कारण पत्रकारों के बीच भ्रम होना लाजमी है। इसमें प्रशासन और पत्रकारों को मिलकर सुधार की आवश्यकता है। तभी पत्रकारों के नेचर में बदलाव किया जा सकता है।
वहीं मोहन सिंह ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज की पत्रकारिता की चुनौतियां कहानी अधिक और व्यापक हो गई है। लोगों की उम्मीदें विभिन्न मीडिया के माध्यमों से काफी बढ़ी है।आज कोई व्यक्ति जब एफ आई आर दर्द करने के लिए थाना जाता है या विकास से जुड़ी किसी समस्या के निराकरण हेतु अधिकारियों के पास जाता है तो अपने आवेदन की प्रति मीडिया कर्मियों को भी उपलब्ध कराता है। सोशल मीडिया में जन समस्याओं को उजागर करने में अहम भागीदारी निभा रही है।
इससे एक तरफा जहां हमारे सूचना स्रोत बढ़े हैं, गलत व भ्रामक जानकारियों के प्रसारित हो जाने के खतरे भी तेज हुए हैं। हम कई बार ऐसी भ्रामक जानकारियों के कारण होने वाले नुकसान का सामना भी कर चुके हैं और लगातार करते भी हैं। भ्रमित करने वाली सूचनाओं के संदर्भ में लोगों को आगाह कम, सच्चाइयों के तहत तक पहुंच कर वास्तविक तथ्यों से प्रशासन एवं जन सामान्य को परिचित कराना तथा जनहित की मुद्दों पर तटस्थता व पारदर्शिता के साथ फोकस करना पत्रकारों के लिए आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। इसके साथ ही पत्रकार बृजभूषण कुमार, एम शकील समय के साथ नेचर और प्रेस का बदलना अति आवश्यक और बेहतर है, प्रेस आज हर पल समाज के काफी करीब है लेकिन प्रशासन काफी दूर होता चला गया है जो काफी अफसोस नाक है,आदि पत्रकारों ने भी परिचर्चा में भाग लिया। इस अवसर पर पत्रकार शशि मिश्रा, अवध किशोर तिवारी, करुणेश केशव, कैलाश यादव, डॉ घनश्याम, मोहम्मद जफर, मोहम्मद सुल्तान, सत्यम सिंघानिया, एस के राव आदि दर्जनों पत्रकार उपस्थित रहे।
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