दिवाली और छठ पूजा के लिए बिहार आने वाले हजारों यात्रियों को सूरत के उधना रेलवे स्टेशन पर दो- तीन दिनों से मिल रहीं हैं पुलिस की लाठियां- विधायक

दिल्ली, पंजाब, मुम्बई, चेन्नई आदि रेलवे स्टेशनों पर सूरत के उधना जैसा ही है हालात. इसके लिए एनडीए सरकार है जिम्मेदार- वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता

नितीश सरकार की 19 साल पलायन रोकने में नाकाम-वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता

प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए कोई नीति नहीं बना पायीं एनडीए सरकार- माले

दिवाली और छठ पूजा के लिए बिहार आने वाले हजारों प्रवासी मजदूरों को सूरत के उधना रेलवे स्टेशन पर दो- तीन दिनों से भारी परेशानी झेलना पड़ रहा हैं, भीड़ इतनी है कि बेकाबू हो चुकीं है, विधि व्यवस्था के नाम पर प्रवासी मजदूरों पर पुलिस लाठियां चला रही है.

दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता आदि रेलवे स्टेशनों पर भी सूरत के उधना जैसा ही है हालात बने हुए हैं. नितीश कुमार भाजपा के सहयोग से 19 सालों से बिहार में सरकार चला रहे हैं. बिहार में विकास हो रहा है. इसका ढोल एनडीए के लोग खुब पीट रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि बिहार से पलायन रूका नहीं पहले से काफी बढ़ गया है. बिहार में रोजगार देने के मामले में एनडीए सरकार नाकाम साबित हुईं हैं. उक्त बातें भाकपा माले केन्द्रीय कमिटी सदस्य सह सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता जी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा.

सूरत के उधना रेलवे स्टेशन पर हजारों यात्रियों की भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे रेलवे की व्यवस्थाएं चरमरा गईं। पश्चिम रेलवे 86 अतिरिक्त ट्रेनें चला रहा है तभी यात्रियों की भारी संख्या के कारण स्टेशन पर अफरातफरी का भी माहौल है। दो मजदूरों की मौत और सैकड़ों लोगों की तबीयत भी खराब होने की खबर है। 

पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा शनिवार की रात से यात्रियों का स्टेशन पहुंचना शुरू हो गया था। कई बार इस तरह की परेशानियों का सामना कर चुके कई यात्री अपनी ट्रेन के लिए 10 घंटे पहले ही स्टेशन पहुंच गए थे। वहीं, सुबह और दोपहर की ट्रेनों के लिए स्टेशन के बाहर यात्रियों की दो किमी लंबी कतार लग गई थी। भीड़ के बेकाबू होने पर पुलिस को भी हल्का बलप्रयोग करना पड़ा। 

माले विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता जी ने कहा कि एक स्टेशन पर 10 से 12 हजार की भीड़ यह साबित करता है कि नितीश कुमार के शासन में बिहार मजदूरों की पलायन जोन बनकर रह गया है, माले विधायक ने कहा कि नितीश सरकार बिहार में कोई रोजगार सृजन नहीं किया है, न न्यूनतम मजदूरी लागू किया है, जिसके कारण बहुत कम पैसे कमाने के लिए मजबूरन अन्य प्रदेशों में काम करने के लिए जा रहे हैं, वही दूसरी तरफ प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए कोई केन्द्रीय नीति नहीं बन पायीं है जिसके कारण आये दिन बिहारी मजदूरों को विभिन्न प्रकार के दमन के शिकार होते हैं. नितीश कुमार की एनडीए सरकार गरीब व मजदूर विरोधी सरकार है।

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