बेतिया -देश के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भारतीय स्टेट बैंक द्वारा चुनावी बॉन्ड की जानकारी नहीं दिया जाना , यह भारतीय संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का अवहेलना है । आज सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक के सरकारी अधिवक्ता को स्पष्ट रूप में कहा कि आप जो बॉन्ड बिक्री किया और जिनका नाम बॉन्ड पर दर्ज किया । वह बॉन्ड किन किन दलों को मिला ।
यह सूची जो आपने लिफाफा में मुंबई मुख्य कार्यालय में सील करके रखा है । वह हमारे सामने रखना क्यों नहीं चाहते ।
आप इसके लिए 30 जून तक का समय लेना क्यों चाहते हैं । इसलिए आप अविलंब उस चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले 22217 लोगों का नाम और 16 हजार करोड़ रुपए किस-किस दल को प्राप्त हुए, इसकी पूरी जानकारी 12 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय के पटल पर रखें । सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि 15 मार्च को शाम 5 बजे तक स्टेट बैंक अपने वेवसाइड पर जारी कर दे । वरना अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना की जानकारी नहीं मिलने की स्थिति में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर किया गया था। जिसकी जानकारी सर्वोच्च न्यायालय को भारतीय स्टेट बैंक मोदी सरकार के मिली भगत से नहीं देना चाहती है । क्योंकि लोकसभा चुनाव समाप्त हो जाने के बाद 30 जून को इसका जवाब सर्वोच्च न्यायालय को देने के पीछे बहुत स्पष्ट मतलब है कि चुनावी बांड के द्वारा दिए गए 16 हजार करोड़ रुपए का भारी हिस्सा भारतीय जनता पार्टी को दिया गया है । यह किन लोगों के द्वारा दिया गया है । इसकी जानकारी अभी मिलने से भारतीय जनता पार्टी को प्राप्त हुए चुनावी बॉन्ड के माध्यम से काला धन देने वालों की कलई खुल जाएगी ।जिससे चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को भारी धक्का लगेगा ।
भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य शाखा बेतिया पर धरना देते हुए पार्टी की पश्चिम चंपारण जिला कमेटी के सचिव चांदसी प्रसाद यादव ने यह बातें कही । इस अवसर पर धरना को संबोधित करने वाले पार्टी के जिला सचिव मंडल सदस्य प्रभुनाथ गुप्ता, रामा यादव , महमद हनीफ , प्रकाश कुमार वर्मा , शंकर कुमार राव , म . सहीम , मनोज कुशवाहा , रामेश्वर महतो , मनौवर अंसारी , भाकपा के संजय सिंह, भारत जोड़ो आंदोलन के आलमगीर आदि ने धरना को संबोधित किया।
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