विद्यालयों महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए सावित्री बाई ज्योति राव फुले एवं फातमा शेख का जीवन

दर्शन 

भारत की महान समाज सुधारक

सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले की 192वी जन्म दिवस पर विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन सत्याग्रह भवन में किया गया,भारत के महान समाज सुधारक सावित्री बाई फुले की 192 वी जन्मदिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया ,जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों एवं बुद्धिजीवियों ने भाग लिया सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के डॉ एजाजअधिवक्ता, ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट के डॉ अमानुल हक , सामाजिक कार्यकर्ता नवीदूं चतुर्वेदी, पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने संयुक्त रूप से सरकार से मांग करते हुए कहा कि सावित्रीबाई ज्योति राव फुले एवं फातमा शेख के जीवन दर्शन को विद्यालयों महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि भारत की महान समाज सुधारक महिला शिक्षिका, एवं मराठी कवियत्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले एवं फातिमा शेख के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की।

5 सितंबर 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्होंने महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पाँच नये विद्यालय खोलने में सफल हुए। तत्कालीन सरकार ने इन्हे सम्मानित भी किया। एक महिला प्रिंसिपल के लिये सन् 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि समाज में नारी शिक्षा के माध्यम से नई जागृति लाने सफल प्रयास अपनी सहयोगी फातिमा शेख एवं फातिमा शेख के भाइ उस्मान शेख के माध्यम से किया था।

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