अक्षत भभूत नहीं, रोजी-रोटी-आवास चाहिए, आजादी, लोकतंत्र और संविधान चाहिए- माले

आजादी लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए प्रदर्शन- माले

बिहार के दलित, गरीब और मजदूरों के सवालों के प्रति मोदी सरकार की उपेक्षापूर्ण नीतियों को महामहिम राष्ट्रपति के संज्ञान में लाने के लिए अपेक्षति कदम उठाने और महागठबंधन सरकार द्वारा संपन्न सामाजिक आर्थिक सर्वे के आलोक में सम्य को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकालने के लिए अपेक्षित कदम उठाने में केंद्र सरकार विफल रही है उक्त बातें बैरिया अंचल कार्यालय पर राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत अखिल भारतीय खेत ग्रामीण मजदूर सभा और भाकपा माले के तत्वाधान में आयोजित प्रदर्शन को संबोधित करते हुए माले नेता सुनील कुमार राव ने कहा।

उन्होंने कहा,अक्षत-भभूत नहीं, रोजी-रोटी-आवास चाहिए, आजादी, लोकतंत्र और संविधान चाहिए।प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2022 तक सबों को पक्का मकान देने का वादा किया गया लेकिन इसका लाभ बिहार को नहीं के बाराबर मिला। 2017 के बाद से राज्य पूरी तरह से उपेक्षित रहा है, यही कारण है कि राज्य में आवासहीनता की तस्वीर भयावह है। लाखों मनरेगा मजदूरों को केन्द्र सरकार पेट पर लात मार रही है। 228 रूपए की दैनिक मजदूरी कहीं और किसी काम में नहीं है, वैसी गैर कानूनी थोप रही है जो न्यूनतम मजदूरी कानून का उल्लंघन है। दरअसल मनरेगा की अति अल्प मजदूरी कॉपरेट्स के हित में है। 

माले नेता व मुखिया नवीन कुमार ने कहा, आसमान छूती महंगाई में केन्द्र सरकार की ओर से कोई राहत पैकेज नहीं है। भोजन अधिकार कानून के नाम पर 5 किलो सूखा अनाज के नाम पर गरीबों को ठगा जा रहा है। सब तरह का टैक्स जीएसटी के नाम पर भारत सरकार वसूलती है, लेकिन दलित-गरीबों के घर में बिजली की गारंटी के लिए गरीब राज्य को विशेष मदद देने से भाग खड़ी हो रही है।

माले नेता सुरेंद्र चौधरी ने कहा, सामाजिक आर्थिक रिपोर्ट से बिहार में गरीबी, आवासहीनता और शिक्षा की भयावह तस्वीर उभरकर सामने आई है, राज्य सरकार को इसके मद्देनजर गरीबी उन्मूलन के समेकित पैकेज बनाना चाहिए। दलितों, कमजोर वर्ग के लोगों, अक्लियतों और महिलाओं के सुरक्षा-सम्मान के प्रति सरकार की गंभीरता संवेदनशीलता अपेक्षित नहीं है जिससे दलित उत्पीड़न की बर्बर घटनाएं सामने आ रही हैं। इस आलोक में बिहार के दलित गरीबों का सबसे बड़ा संगठन खेग्रामस 18 जनरवरी को राज्य के तमाम अंचल-प्रखंडों पर प्रदर्शन आयोजित कर रहा है।

माले नेता ठाकुर साह ने कहा कि गरीबों के घरों में एक दो बल्ब जल रहे हैं और उनके घरों में 60 से 62 हजार बिल आ रहे हैं। बिजली विभाग फर्जी बिजली बिल भेज रहा है। भगत सिंह खेल मैदान में मनरेगा से मिट्टी भराई काम मनरेगा के पीओ नही करा रहे हैं। मनरेगा में लूट मचा हुआ है।

कार्यक्रम में निम्न मांगो को भी रखा गया:-

1. राज्य सरकार को न्यूनतम मजदूरी के समकक्ष मनरेगा मजदूरी के निर्धारण का प्रस्ताव बिहार विधानसभा से पारित हो और उसे केन्द्र सरकार को भेजा जाए। रद्द मनरेगा जॉब कार्ड का नवीकरण हो और मनरेगा जॉब कार्ड के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता समाप्त हो। 200 दिन काम की गारंटी, 600 रूपए दैनिक मजदूरी और कार्यस्थल पर समय से भुगतान की गारंटी हो।

 2. आवासीय भूमिहीनों और पक्का मकान विहीन परिवारों की समग्र सूची बिहार सरकार पंचायतों के माध्यम से बनाए और उसे केन्द्र सरकार को भेजा जाय। प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि 5 लाख करने के प्रस्ताव भी राज्य सरकार केन्द्र सरकार को भेजे।

 3. आसमान छूती महंगाई और बढ़ती बेकारी के मद्देनजर सभी गृहणियों को केन्द्र सरकार मासिक 3000 रूपए की सहायता राशि हैं।

4. जीविका मिशन और माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के ब्याज दर कम करने का निर्णय केन्द्र सरकार ले और गरीबों को न्यूनतम ब्याज दर पर सहजता से ऋण उपलब्ध कराए ।

5. सभी वृद्ध, अशक्त और विधवाओं को भारत सरकार न्यूनतम 3000 रूपए मासिक पेंशन की गारंटी करें।

6. दलित-गरीबों को राज्य सरकार 200 यूनित फ्री बिजली दे और सभी छात्र-छात्राओं को मासिक छात्रवृति की गारंटी करें। राज्य सरकार अमानवीय पेंशन (400 रूपए मासिक) में अविलंब सुधार करें।

कार्यक्रम में हारून गद्दी, मुजम्मिल हुसैन, अशोक प्रसाद, धामू चौधरी, शिवपर्सन मुखिया, हेमंत साह, मंजीत कुमार उर्फ नेपाली यादव, गुड्डू गुप्ता, विनोद कुशवाहा, गोदावली देवी, झोंझ पासवान, आदि सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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