भारतीय संविधान की रचयिता विधिवेत्ता बाबा साहब डाॅक्टर भीमराव आंबेडकर की महापरिनिर्वाण दिवस पर पुष्पांजलि अर्पित किया गया : रवीन्द्र रवि


बेतिया-भारतीय संविधान की रचयिता महान समाज सुधारक एवं विधिवेत्ता डाॅक्टर भीमराव आंबेडकर साहब की 67वीं महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर स्थानीय जगजीवन नगर स्थित बुद्ध विहार, बेतिया में संविधान निर्माता व महान समाज सुधारक बाबा साहब डॉक्टर भीमराव रामजी राव अंबेडकर साहब की आदमकद प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर कोटि कोटि नमन किया गया। उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए बिहार म्युनिसिपल वर्कर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी रवीन्द्र कुमार 'रवि' ने कहा कि भारत का संविधान व लोकतंत्र आखिरी सांस ले रहा है। 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस से जो सिलसिला शुरू हुआ और 2002 में हुए गुजरात जनसंहार से परवान चढ़ा।

आज मोदी सरकार मजदूरों के तमाम कुर्बानियों से हासिल 44 श्रम कानून को एक झटके में खत्म कर चार संहिता में बदल दिया है। आगे उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अब 8 घंटे काम के बदले 12 घंटे काम करने का काला कानून बना दिया है। रवीन्द्र रवि ने कहा कि आज आरक्षण को कमजोर किया जा रहा है। संविधान से परे जा कर आर्थिक आधार पर समान्य जाति को 10℅ आरक्षण दे दिया गया है। न्यायपालिका में आरक्षण नहीं है, यह भी एक बड़ा सवाल है। पर सरकार की परेशानी दुसरी है, वह कॉलेजियम से परेशान है और इसको बदल देना और उसको भी अपने जेब में रख लेना चाहती है। अभी जो अघोषित आपातकाल है वह स्थायी है। अगला 2024 का चुनाव इससे मुक्ति के लिए है। यह देश की जनता की आकांक्षा है। जन आंदोलन को तेज़ कर भाजपाई साम्प्रदायिक फासीवाद का मुकाबला करना होगा। 

पूर्व पार्षद व समाजसेवी श्रीमती रीता रवि ने कहा की बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर 1956 को चिरनिद्रा में सो गए परंतु उनके संघर्ष और कुर्बानियों की ज्योति हमेशा हर इंसान के दिलों में जलती रहेगी। शोभा देवी और गीता कुमारी प्रधानाध्यापिका ने कहा कि अंबेडकर का जन्म उस समय हुआ जब अंधविश्वास,पाखंडवाद और मनुस्मृति का बढ़ चढ़कर बोलबाला था, जब पिछड़ी जाति वह हर एक वर्ग की महिलाओं को पढ़ने लिखने तक का अधिकार नहीं था, महिलाओं का जीवन जानवर से भी बदतर था। महिलाओं को घूंघट में रहना होता था, पति की मृत्यु के समय जिंदा पत्नी तक को पति के साथ जला दिया जाता था। उस समय डॉक्टर अंबेडकर हिंदू कोड बिल लेकर आए और महिलाओं को समानता का अधिकार दिलाया और शोषण मुक्त समाज की स्थापना की। 

बैंककर्मी सुरेश कुमार राउत ने कहा कि डॉ अंबेडकर ने 32 डिग्री और 9 भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किए थें। उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने 1919 में मुकनायक अर्थात "गुंगों का नेता" नामक किताब लिखी, 1923 में "रुपए की समस्या" पर शोध लिखा जिसे लंदन यूनिवर्सिटी ने स्वीकार कर उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्रदान की, जिस शोध पर आगे चलकर भारत में आरबीआई का गठन किया गया। अंबेडकर ने लेबर मेंबर रहते हुए पूरे देश में रोजगार कार्यालय स्थापित करवाए और अपनी मांगे मनवाने के लिए हड़ताल करने का अधिकार दिलवाया। मौके पर बिरु राउत,चन्दर मलिक, मुन्ना कुशवाहा, सुरेन्द्र हजरा,आदि गणमान्य बुद्धिजीवियों ने भी संबोधित किये।

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