उर्दू दिवस के अवसर पर


दिनांक 26.11.23 को इदारा ए अदब इस्लामी हिन्द बेतिया पश्चिम चम्पारण की ओर से आलमी उर्दू दिवस एवं राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के उपलक्ष में उर्दू गर्ल्स हाई स्कूल (ईमाम बाड़ा) बेतिया में मुक़ाला और मुशायरा का आयोजन किया गया जिस में इदारा के अध्यक्ष मोहम्मद क़मरुज़्ज़मा क़मर ने ईदारा अदब इस्लामी हिन्द के उद्देश पर प्रकाश डालते हुए कहा की ईदारे का मक़सद नये लिखने वालों को अच्छे और सुसंकृत साहित्य श्रृजन के लिए प्रेरित करना है ताकि समाज में उत्पन्न कुरीतियों को दूर कर समाज को सुंदर और सुसज्जित किया जा सके ।कवि सम्मेलन मुशायरा एवं सेमिनार केवल मनोरजन का साधन या निजी ख्याती के लिए नहीं बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश पहुंचाने के लिए होना चाहिए । 

प्रोग्राम के पहले दौर की अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्राचार्य श्री मोजीबुलहक़ ने की सर्व प्रथम तिलावते कलामे पाक श्री क़ुर्बान नदवी ने तरजुमा के साथ किया तत्पश्चात मुक़ाला पढ़ा गया जिस में डॉ फ़ाररूक़ आज़म ने उर्दू और उर्दू तबक़ा की ज़िम्मेदारीयाँ शिर्षक से अपना मुक़ाला पढ़ा, मशहूर फ़िज़िसियन डॉक्टर आर आज़म ने "फ़रोग़े उर्दू क्यों और कैसे" पर अपनी बात रखी ।डॉ एम आरिफ़ ने "हमारी तालीम और दौरे हाज़िर के चैलेंजेज़" के माध्यम से समाज तक अपनी बात पहुँचाई, प्रोफेसर मुहसिन आलम ने "मुसलमानों पर आयद ज़िम्मेदारीयाँ और उनकी तालीमी सूरते हाल" के माध्यम से श्रोता को सोचने पर मजबूर कर दिया सेक्रेटरी ईदारा अदब इस्लामी हिन्द बेतिया फ़हीम हैदर नदवी ने "डॉक्टर ईक़बाल और मज़हबी रवादारी "के माध्यम से अपनी सोच से लोगों को औगत कराया तो अबू बर्कात शाज़ क़ासमी ने मौलाना आज़ाद के नज़रिया तालीम पर प्रकाश डाला ।एम जे के कालेज के सेवानिवृत्त उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ शमसुलहक़, केदार पाण्डे कन्या उच्च विद्यालय के प्राचार्य एवं डॉ ज़फ़र ईमाम ने इस सेशन के अंत में अपने अपने विचार रखे, और कार्यक्रम के अध्यक्ष सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक श्री मोजीबुलहक़ के अध्यक्षीय भाषण के बाद दूसरे दौर का आग़ाज़ हुआ जिसकी अध्यक्षता उस्ताद शायर अबुलखैर निशतर ने की उनकी नज़्म "तज़ाद" ने श्रोता पर एक सकारात्मक छाप छोड़ा, मोहम्मद क़मरुज़्ज़मा क़मर ने अपनी ग़ज़ल से मुशायरे में जान डालदी फ़रमाया "रासता मुख़तसर नहीं है क्या / मेरी क़िस्मत में घर नहीं है क्या, कोई पत्थर इधर नहीं आता / पेड़ में अब शजर नहीं है क्या । डॉ ज़फ़र ईमाम ने अपने जदीद लबो लेहजा से सामअीन ख़ूब प्रभावित किया, उन के अशआार कुछ यूँ थे. दर्द की दासताँ नहीं है क्या /जो यहाँ है वहाँ नहीं है क्या, ऐ हवा क्यों उदास बैठी हो / नाव में बादबाँ नहीं है क्या.,हास्य व्यंग्य के मशहूर शायर इफ़्तखा़र वसी उर्फ़ करैक बेतियावी ने अपने कलाम से लोगों को ख़ूब गुद गुदाया और कहा "भागते हैं देख कर मुझ को मेरे एहबाब सब /हाल अपना ये है तुझ से इश्क़ फ़रमाने के बाद, मुझ पे पागलपन का दौरा पड़ता है दो मरतबा /एक तेरे आने के पहले एक तेरे जाने के बाद । मजीद खां मजीद की लतीफ़ एहसास की शायरी ने लोगों को खूब मुतासिर किया, उन्होंने कहा.. मेरी जो, ज़िंदगी में आके तूने कैसी ये सज़ादी / जो थी मेरे दिल की हसरत उसे ख़ाक में मिलादी,.... डॉ ज़ाकिर हुसैन ज़ाकिर ने अपनी आवाज़ के ज़ेरो बम से ख़ूब समाँ बांधा और फ़रमाया, बस निगाहों में तू ही तू है / तुझ से मिलने की आरज़ू है तो शिक्षक मुजीबुर्रहमान ने कहा" है तेरी ज़िंदगी पानी के बुलबुलों की तरह / तुने पी आबे हयात थोड़ी है " इस प्रोग्राम के सभी कवि और लेखक को संस्था की ओर से प्रशस्ती पत्र और मोमेंटो दे कर सम्मानित किया गया और संस्था के सचिव फ़हीम हैदर द्वारा मेहमानो का आभार प्रकट किया गया एवं सभा के समापन का ऐलान हुआ इस सभा को जिन लोगों की उपस्थिती ने सुशोभित किया उन में अमीर मुक़ामी जमाते इस्लामी बेतिया श्री मोहम्मद अली, प्रोफेसर शौकत अली, डॉ आफ़ताब आलम, श्री नसीर आलम, श्री नज़ीर आलम, श्री जमील अहमद, श्री सैयद इर्शाद अख़्तर दुलारे, श्री सैयद अबूलैस अख़्तर, श्री दिलनवाज़ अहमद, श्री सैयद शहाबुद्दीन,श्री शमीम खां, और श्री तसनीम अहमद के नाम अहम हैं, इब्राहीम मुबश्शिर, अशफ़ाक़ अख़्तर, अर्श आज़म, फरहान अख़्तर, मोहम्मद दिलदार का सभा के आयोजन में सराहनीय भागीदारी रही.

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