शिक्षा रोजगार और आरक्षण विरोधी मोदी सरकार के खिलाफ मुहिम तेज होगा-विधायक

गाजा- फिलिस्तीन पर हमला बंद करो, युद्ध रोको - राजनीतिक समाधान का रास्ता निकाले

भाकपा माले का मुख्य जन संगठन अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) का 7 वां राज्य सम्मेलन 4-5 नवम्बर को बेतिया बड़ा रमना स्थित (ऑडिटोरियम) बापू सभागार में आयोजित हैं, पूरे बिहार के 38 जिले से 2000 से अधिक प्रतिनिधि सम्मेलन में भाग लेने आ रहें हैं। 

भाकपा माले सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता जी ने कहा कि पश्चिम चम्पारण में आ रहें प्रतिनिधियों के स्वागत में शहर से लेकर गाँव तक को झंडा बैनर पोस्टर से सजाया जा रहा है।, इस काम में सैकड़ों कार्यकर्ता रातों दिन लगे हुए हैं, आगे कहा कि सम्मेलन में मुख्य रूप से डी. बंदोपाध्याय आयोग की भूमि सुधार सम्बंधित सिफारिश लागू करने, पश्चिम चम्पारण में मुकम्मल भूमिसुधार के लिए सरकार विशेष लैंड ट्रिब्युनल गठित करने,बेतिया राज की पूरी सम्पति को राज्य सरकार अधिग्रहण करें और जो लोग जहां बसे है, उन्हें कायमि हक देने। आदि सवालों पर विशेष चर्चा होगी। 

आगे कहा चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज अपना देश नफरत और उन्माद की राजनीति के जरिये फासीवादी कम्पनी राज में तब्दील हो चुका है। देश का संविधान, लोकतांत्रिक ताना-बाना व परम्पराएं, साझी संस्कृति व विरासत, इतिहास जैसी सारी चीझें हमले की शिकार हैं। एक धर्म का दुसरे धर्म के प्रति, एक समुदाय का दुसरे समदाय के प्रति इतनी घृणा और नफरत फैलायी गयी है कि दूर के देश फिलिस्तीन में लाखों लोगों के विस्थापन, बच्चों, महिलाओं, वृद्धजनों, आम नागरिकों की हजारों-हजार की संख्या में हो रही मौतों पर यहाँ के साम्प्रदायिक उन्मादी मौत का जश्न मना रहे हैं। शांति और पुर्नवास की दिशा में सोचने, बढ़ने के बदले और अधिक फिलिस्तानियों को मारने के लिए इजरायली सेना में भर्ती होने की मांग कर रहे हैं। उसी फासीवादी सोच के तहत अपने हीं देश के मणिपुर में कुकी आदिवासी समाज के विस्थापन, महिलाओं के बलात्कार और हत्या की घटनाओं में उन्हें राजनीतिक लाभ दिखते हुये सुख की अनुभूति हो रही है। नफरत की राजनीति देश को कहां ले जा रही है, इससे समाज कहां जा रहा है? सोचने की बात है।

वही आगे कहा कि नफरत की राजनीति के साथ लगी दूसरी तस्वीर में जो बातें दिख रही हैं उसमें अपने देश की खेती-बारी, छोटे-बड़े उद्योग-धंधे, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, राशन आदि वितरण व्यवस्था बड़ी-बड़ी कम्पनियों के हवाले किया जा रहा है। छोटी जोत वाले किसानों की जमीन बड़ी कम्पनियां लें रही हैं। श्रम कानूनों में बदलाव कर काम के घंटे बढ़ाकर मजदूरों को गुलाम बनाया जा रहा है। डॉक्टरों-इंजिनियरों को बड़े माफियाओं के अस्पतालों, कम्पनियों का मजदूर बना दिया गया है। शिक्षा के निजीकरण और आरक्षण को सीमित करते जाने से गरीबों व आम जनता की पहुँच से शिक्षा दूर हो रही है। महंगाई और बेरोजगारी से आम जन तबाह हैं। अडानियों-अम्बानियों के लूट व भ्रष्टाचार का राज सरकार के संरक्षण में चल रहा है। इससे देश में एक तरफ राष्ट्रीय संसाधनों की लूट व भ्रष्टाचार से अरबपतियों की संख्या बढ़ी रही है तो दूसरी तरफ 125 देशों की ग्लोबल हंगर इंडेक्स सूची में भारत 111वें नम्बर पर है।

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