बाल विवाह हमारे बच्चों से उनका बचपन और तरक्की को छीन लेने वाला एक सामाजिक पाप: गरिमा

बाल विवाह मुक्त भारत' कम्पेन के विषय पर आयोजित जागरूकता की कार्यशाला का नगर निगम की महापौर ने किया उद्घाटन

बेतिया 'बाल विवाह मुक्त भारत' अभियान को ले गैर सरकारी संगठन प्रयास जुवेनाइल एड सेंटर के द्वारा नगर के राज संपोषित कन्या प्लस टू स्कूल में उक्त विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर भुवन ऋभु की किताब 'व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज' का लोकार्पण नगर निगम की महापौर गरिमा देवी सिकारिया द्वारा किया गया। जहां संस्था के जिला प्रभारी अमित कुमार, कार्यकर्ता पवन कुमार, सोनू कुमार, चंदन कुमार गौतम, अरविन्द पांडेय, सुमन कुमार मिश्रा, रजनीश कुमार द्विवेदी और फ्रांसिस जेवियर के अलावा अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद थे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहीं नगर निगम की मेयर गरिमा देवी सिकारिया ने कहा कि बाल विवाह बच्चों से उनका बचपन और तरक्की छीनने का सामाजिक पाप है। इससे नुकसान के विषय पर व्यापक जन जागरूकता ही इसको खत्म करने का उपाय है।

 बाल विवाह की चुनौती का सामना करने के रास्ते में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। लेकिन बहुत कुछ बाकी है क्योंकि देश अभी उस टिपिंग प्वाइंट यानी उस बिंदु पर नहीं पहुंच पाया है। जहां छोटे बदलावों और घटनाओं की श्रृंखला इतनी बड़ी हो जाती है जो एक बड़ा और आमूल परिवर्तन कर सकें। वही बाल कल्याण समिति के सदस्या चांदना लकड़ा ने बताया कि भारत में बाल विवाह की मौजूदा दर 23.3 प्रतिशत है और यूनीसेफ का अनुमान है कि अगर पिछले दस साल से हुई प्रगति जारी रही तो 2050 तक जाकर भारत में बाल विवाह की दर घट कर छह प्रतिशत पर आ पाएगी। यह एक परेशान करने वाला आंकड़ा है और इसका मतलब है कि 2023 से लेकर 2050 के बीच सात पीढ़ियों तक बाल विवाह का दंश बच्चों से उनका बचपन छीनता रहेगा। लोकार्पित पुस्तक 'व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन'में सुझाव है कि 2030 तक राष्ट्रीय बाल विवाह दर को 5.5 प्रतिशत तक लाना संभव है- ये संख्या वो देहरी है जहां से बाल विवाह का चलन अपने आप घटने लगेगा और लक्षित हस्तक्षेपों पर निर्भरता भी कम होने लगेगी।भुवन ऋभु की किताब के हवाले से बताया गया कि “जरूरत है बस समस्या की गंभीरता को समझते हुए दृढ़ संकल्प के साथ यह कहने की कि, ‘अब और नहीं’। पैदा होते ही मां को खो देने, बेचे जाने, बलात्कार का शिकार होने का मतलब एक बच्चे का बार-बार मरना है।”  

यहां उल्लेखनीय है कि गैर सरकारी संगठन कैलाश सत्यार्थी के संगठन 'चिल्ड्रन फाउंडेशन' देश के कोने-कोने के 288 जिलों में कार्यरत 160 संगठनों के साथ मिल कर स्थानीय और जमीनी स्तर पर बाल विवाह के खात्मे के लिए काम कर रहा है। ये सभी संगठन 16 अक्तूबर 2023 बाल विवाह मुक्त भारत दिवस की तैयारियों में जुटे हैं। इस दिन देश के हजारों गांवों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रमों, नुक्कड़ नाटकों, बाल विवाह के खिलाफ प्रतिज्ञाओं, कार्यशालाओं, मशाल जुलूस और तमाम अन्य गतिविधियों के माध्यम से संदेश दिया जाएगा कि बाल विवाह हर हाल में खत्म होना चाहिए।पश्चिमी चंपारण जिले के 9 प्रखंड के 150 गांव में संस्था द्वारा जन जन तक बाल विवाह से होने वाले हानि से अवगत कराया जा रहा है।

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