आदिवासी समाज की स्थिति पर आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने किया परिचर्चा का आयोजन

संविधान में वर्णित 5 शिड्यूल्ड और पेशा कानून को लागू करने के लिए आंदोलन तेज करें -क्लिफ्टन डी. रोजारियो

वाल्मीकि टाईगर रिजर्व एरिया के कानून के तहत वन अधिकार कानून 2006 को निरस्त किया है मोदी सरकार - विधायक

गौनाह | आदिवासी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले जल- जंगल और जमीन से आदिवासी समाज को बेदखल करने की मोदी सरकार की आदिवासी विरोधी कानून को लेकर गौनाहा प्रखंड के धमौला गांव में परिचर्चा का आयोजित किया गया।

आदिवासी समाज की स्थिति पर बोलते हुए आदिवासी संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक कामरेड क्लिफ्टन डी. रोजारियो कहा ने कि हाल ही में मध्य प्रदेश के एक आदिवासी युवक के ऊपर बीजेपी के एक नेता ने पेशाब कर दिया था इस प्रकार से आदिवासी समुदाय को प्रताड़ित किया जा रहा है वहीं आदिवासी समाज ने ब्यूटीफुल से लड़ाई करके जंगल और जमीन को हासिल किया था उसको फिर से मोदी की सरकार आदिवासियों से छीन रही है। आदिवासी इस देश के मूल निवासी हैं जंगल जमीन पर इनका अधिकार है़। आदिवासियों के आरक्षण

पर सवाल उठाते हुए कहा कि आदिवासी समाज जहां पर निवास कर रहा है वहां पर आज भी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है आगे उन्होंने पेशा कानून पर बोलते हुए कहा कि बिहार के आदिवासी समुदाय पर भी लागू होना चाहिए जिससे कि आदिवासी समाज के जुड़े किसी भी योजना में आदिवासी समाज का संपूर्ण भागीदारी हो सके। वहीं संविधान में वर्णित 5 शिड्यूल्ड और पेशा कानून को लागू करने के लिए आंदोलन तेज करने का आह्वान किया।

वहीं सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने आदिवासी समाज को संबोधित करते हुए कहा कि वाल्मीकि टाईगर रिजर्व एरिया के कानून के तहत वन अधिकार कानून 2006 को निरस्त किया है जिसका नतीजा सामने है कि भीखना ठोरी में सरकारी स्कूल जो निर्माण के ही बीच में ही वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व एरिया के अधिकारियों ने रोक दिया है, जिसके कारण स्कूल का जर्जर हालत बना हुआ है, बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है, ठीक इसी तरह से सभी निर्माण कार्य पर रोक लगाई गई है। जिसके चलते आम जन - जीवन काफी प्रभावित है। यहां तक की इस एरिया में कोई भी संगी संबंधी चार पहिया से भिखना ठोरी प्रवेश कर रहे हैं तो 225 रुपया प्रवेश शुल्क के साथ प्रत्येक व्यक्ति पर₹25 का रसीद काटा जा रहा है, मानपुर में बन रही सड़क पर भी बन विभाग ने रोक लगा दिया संवेदनशील इलाका घोषित करके यह सब कुछ किया जा रहा है जिससे सड़क, स्कूल बनाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार के तहत है बिहार सरकार ने सड़क पास कर दिया लेकिन वन विभाग ने रोक लगा दिया एक तरह से आदिवासियों को अपने ही भूमि पर उनके अधिकारों को बाधित कर दिया गया है। इसके खिलाफ आदिवासी समाज को राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार उसके लठई करने के बदले जन आंदोलन कर वन अधिकार कानून 2006 को हासिल करना होगा, 

आदिवासी संघर्ष मोर्चा के जिला संयोजक नन्दकिशोर महतो ने परिचर्चा का संचालन करते हुए कहा कि काके जंगल एरिया के तमाम नागरिकों को अपने निजी कार्यों के लिए बालू पत्थर लकड़ी का अधिकार बाहर करना होगा नहीं तो आदिवासी संघर्ष मोर्चा बड़े आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा इनके अलावा शंकर उरांव, जितेन्द्र उरांव, बलिराम उरांव, पलट महतो, राजकुमार महतो, भारतीय थारू कल्याण महासभा से श्रीकांत पंजियार, श्री बाशुदेव प्रसाद, श्री भूदेश्वर प्रसाद, भानू प्रकाश महतो, सुखदेव पंजियार, ब्रह्मा नन्द पंजियार, हरा नारायण महतो

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