31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में होने वाली इंडिया या मोदी सरकार के विरुद्ध विपक्षी दलों की गठबंधन की बैठक से वर्तमान केंद्र की सरकार तथा आरएसएस बीजेपी पूरी तरह से भयभीत नजर आ रही है और 26 दलों के द्वारा बना इंडिया धीरे-धीरे देश के अंदर अपनी मजबूत पहचान बनाने लगा है। यही कारण है कि देश के ऐसे दलों को जिनका ना कोई सांसद है और ना ही कोई विधायक ।उनको भी शामिल कर 38 दलों का भारी भरकम एनडीए बनाकर संघ और भाजपा सरकार यह बतलाना चाह रही है कि हम केंद्र सरकार को पिछले 9 सालों से चला रहे हैं और आगे भी हमारी ही सरकार यानी कि नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में ही 2024 की सरकार बनेगी ।
1 सितंबर को मुंबई में होने वाली इंडिया की बैठक पर पूरे देश ही नहीं बल्कि दुनिया की निगाह टिकी हुई है । इस बीच में कुछ बातें अनौपचारिक रूप से जो छन कर आई है । उससे पता चलता है कि 400 से ज्यादा सीटों पर एनडीए और इंडिया के बीच सीधा मुकाबला होने वाला है । बाकी सीटों पर भी द्वंद को समाप्त कर एक सही रास्ता निकलने का इंडिया का भरोसा है । इंडिया के बारे में यह बात भी सामने आ रही है कि इसका एक लोगो होगा । एक संयोजन समिति होगी । जिसका एक संयोजक होगा और एक ही चुनाव चिन्ह पर पूरे देश में इंडिया चुनाव लड़ेगा ।
बैठक से पूर्व इंडिया के लिए एक शुभ संदेश यह आ रहा है कि दशकों से एनडीए के खेमे में रहने वाली अकाली दल पार्टी इंडिया में शामिल होने जा रही है। तो दूसरी तरफ से यह भी संकेत मिल रहा है कि मायावती जी किसी भी मोर्चे में शामिल नहीं होगी और स्वतंत्र रूप से एकला चलो नीति के तौर पर लोकसभा चुनाव में उतरेगी ।
दूसरी तरफ देश के अंदर जो महंगाई, बेरोजगारी से परेशान आम आदमी तथा युवा समुदाय मोदी की सरकार के विरुद्ध खड़े नजर आ रहे हैं , तो देश के किसान जिनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धोखा दिया है।उन्होंने एमएसपी को कानूनी दर्जा देने, स्वामीनाथन कमीशन के अनुशंसाओं को लागू करने , देश के किसानों को कर्ज से मुक्त करने , 13 महीने तक दिल्ली बॉर्डर पर चले किसान आंदोलन में 750 शहीद किसानों के परिवार को मुआवजा देने , 2022 बिजली बिल को समाप्त करने , लखीमपुर खीरी के पांच किसानों का हत्यारा गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ट्रेनिंग को बर्खास्त कर जेल देने जैसे अनेक मांगों को मानने का भरोसा देकर प्रधानमंत्री ने किसान आंदोलन को समाप्त कराया था और सिर्फ तीन किसान विरोधी काले कानून को समाप्त किया था ।
दूसरी तरफ देश के मजदूर समुदाय छला महसूस कर रहा है ।क्योंकि 44 संविधान संगत श्रम कानून को समाप्त कर चार श्रम संहिता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनाकर किसानो के साथ-साथ मजदूरों को भी धोखा दिया है ।
तीसरी बात यह कहना चाहते हैं कि देश के अंदर आजादी के बाद पहली बार एक नई स्थिति दिख रही है। जिसमें देश के किसानों के साथ-साथ मजदूर समुदाय भी एकजुट होकर मोदी सरकार के विरुद्ध संघर्ष खड़ा करने पर सहमत दिख रही है ।ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया । 24 अगस्त 23 को नई दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम में उनकी पहली शंखनाद हुई । जिसमें 200 से ज्यादा किसान तथा मजदूर संगठनों के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और देश से सांप्रदायिकता को मिटा देने तथा एकता , भाईचारा , धर्मनिरपेक्षता को कायम रखने का संकल्प लिया ।
यह घटना साधारण घटना नहीं दिखती । क्योंकि दुनिया के किसी भी देश में मजदूर और किसानों की एक जुट कारवाई हुई है , तो उसका प्रतिफल परिवर्तन नजर आया है । इनके द्वारा पूरे देश में कार्यक्रमों की रूप रेखा बनाई जा रही है । जिसका मकसद 2024 के लोकसभा चुनाव में संघ भाजपा के नेतृत्व में चलने वाली केंद्र की मोदी सरकार को गद्दी से उतारना है ।
अटकलें तो यह भी चल रही है कि समय से पूर्व नरेंद्र मोदी चुनाव करा लेना चाहते हैं । क्योंकि आने वाले दिनों में जितना ही अपनी मजबूती की के लिए संघ भाजपा तथा मोदी सरकार काम करेगी । उतना ही उसके सरकार के प्रति अविश्वास बढ़ता नजर आएगा । *इसलिए इंडिया की एकजुट ताकत मजबूती से देश में दिखे और उनके साथ देश का किसान , मजदूर , नाराज नौजवान , आक्रोशित महिला समुदाय की शक्ति का समागम हो। उसके पूर्व भयभीत मोदी सरकार चुनाव करा लेना चाहती है* लेकिन एक खतरा अभी साफ-साफ नजर आ रहा है कि 2004 में फील गुड और शाइनिंग इंडिया के बल पर चुनाव जीतने की ख्वाब देखने वाली अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने भी 1 साल पूर्व चुनाव कराया था और बुरी तरह शिकस्त खाई थी ।
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