उर्दू बिहार की राजकीय भाषा और साथ दूसरी भाषा भी है: प्रो. परवेज आलम

बहुत सारे विद्यालयों खासकर मिशनरी विद्यालयों में उर्दू शिक्षक नहीं हैं नाहि हो रही है पढ़ाई 

बेतिया -राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प, चंपारण के जिलाध्यक्ष प्रो परवेज आलम ने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बिहार सरकार जमा खां साहब को एक आवेदन देकर अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज से जुड़े कुछ अहम मसलों पर ध्यान आकृष्ट कराते हुए दिये गये आवेदन बताया है कि 

मुस्लिम समाज के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने के लिए उर्दू प्राथमिक विद्यालय वर्षों से चले आ रहे हैं जिनमें अधिकतर उर्दू शिक्षक पर बहाल शिक्षक की ही पढ़ाते थे एक दो शिक्षक सामान्य कोटि से रहते थे लेकिन अभी जिले के अधिकांश उर्दू स्कूल में उर्दू शिक्षक नहीं हैं कहीं तो एक भी नहीं हैं बेतिया नगर के बसवरिया मुहल्ले के उर्दू बालक प्राथमिक विद्यालय को ही देखें जहां एक भी नियमित शिक्षक नहीं हैं दो शिक्षक क्पचनजंजपवद में हैं परंतु दोनो सामान्य कोटि के हिंदी शिक्षक हैं ऐसे में छात्रों को उर्दू की पढ़ाई कैसे होगी। जिले के सभी उर्दू विद्यालयों में उर्दू शिक्षक की कमी को पूरा कराने की कृपा करें। 

आप जानते हैं बहुत सारे अल्प संख्यक कालेज स्कूल वक्फ बोर्ड की जमीनों में लीज पर चलता है लेकिन सरकार के नए नियमावली के अनुसार किसी भी संस्था के लिए लीज कम से कम 30 वर्ष के लिए रजिस्टर्ड लीज होना चाहिए नहीं तो मान्यता समाप्त कर दी जाएगी तो जनाब वक्फ की जमीन को कोई वक्फ कमेटी कैसे रजिस्टर्ड कर सकता है चूंकि वक्फ बोर्ड सरकार का ही एक अंग है उसके द्वारा दिए गए लीज की मान्यता शिक्षा विभाग दे ताकि अल्पसंख्यक कालेज या स्कूलों की मान्यता समाप्त न हो। 

उर्दू बिहार की राजकीय भाषा के साथ दूसरी भाषा भी है लेकिन बहुत सारे विद्यालयों खासकर मिशनरी विद्यालयों में उर्दू शिक्षक नहीं हैं और ना ही उर्दू की पढ़ाई होती है साथ ही जितने भी प्राथमिक या माध्यमिक मिशनरी स्कूल हैं वे जुम्मा के दिन भी एक बजे दिन तक वर्ग संचालन करते हैं जिससे मुस्लिम छात्रों को जुम्मे की नमाज पढ़ने में काफी परेशानी होती है साथ ही छोटे बच्चों के अभिवाहक को भी नमाज अदा करने में कठिनाई होती है ऐसे स्कूलों में जुम्मे के दिन 12.30 में नमाज के लिए छुट्टी की व्यवस्था हो।

टिप्पणियाँ