विधालय का जर्जर छत गिरने से छात्र की मौत को लेकर 12.10 लाख भुगतान करने का आयोग का आदेश

संत आलुसियत स्कूल को तीन माह में भुगतान करने का आदेश

भुगतान में लेट होने पर 8 प्रतिशत सालाना ब्याज के दर से भुगतान पाने का शिकायतकर्ता होगा हकदार 

बेतिया -जिला उपभोक्ता आयोग ने विधालय की छत गिरने से हुई छात्र की मौत मामले की शिकायत वाद संख्या 60/2018 में अपना आदेश पारित किया है। जिसमें विपक्षी संत आलुसियत स्कूल के प्रबंधक को दायित्व का सम्यक निर्वहन का दोषी पाते हुए सेवा प्रदाता की हैसियत से जिम्मेदार और दायित्वाधीन मानते हुए 12 लाख रूपया मृत छात्र के शिकायतकर्ता पिता संदीप कुमार बरनवाल को देने का आदेश दिया है। जिसमें शिकायतकर्ता एवं उसके परिवार को हुई मानसिक पीड़ा एवं वाद व्यय के रूप में संयुक्त रूप से 10 हजार रूपया अतिरिक्त देने का आदेश दिया है। 

यानि आयोग ने कुल 12 लाख 10 हजार रूपया का हर्जाना तीन माह के अंदर मृत छात्र के परिजन को देने का आदेश संत आलुसियत स्कूल को दिया है। वहीं आदेशित समय सीमा में धनराशि नहीं दिए जाने पर 8 प्रतिशत सालाना ब्याज दर के साथ शिकायतकर्ता को हर्जाना पाने का हकदार भी होगा। फिर भी यदि विधालय कालावधि में धनराशि देने में विफल रहा तो विहित प्रक्रिया के तहत शिकायतकर्ता आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करा सकेगा।

उक्त जानकारी शिकायतकर्ता संदीप कुमार बरनवाल के अधिवक्ता सुभाष चन्द्र मोहन ने देते हुए बताया कि शिकायतकर्ता के 5 वर्ष का पुत्र वैभव राज संत आलुसियत स्कूल के प्रथम वर्ग का छात्र था। स्कूल की छत अति जर्जर और खतरनाक हो चुकी थी, जिसके नीचे छात्र वैभव राज पढ़ता था। 

विपक्षी स्कूल प्रबंधन के द्वारा छत का रख रखाव ठीक नहीं कराने के कारण 25 सितम्बर 2018 को सुबह लगभग 10:15 बजे स्कूल का छत गिर गया। जिसमें दर्जनों छात्र घायल हुए थे। उनमें शिकायतकर्ता का पुत्र वैभव राज भी घायल हुआ था, जिसकी चोट के वजह से मौत हो गई थी। घटना के पश्चात स्कूल व बाहर काफी बवाल भी हुआ था। जिससे छात्र के मौत की खबर स्कूल प्रबंधन ने पहले छिपाने का प्रयास किया, फिर जब खोज बीन परिजनों ने की तो उसकी मौत होने की बात सामने आई। 

जर्जर छत की शिकायत पूर्व में शिकायतकर्ता ने स्कूल प्रबंधन से किया भी था, पर स्कूल ने अन्यत्र पढ़ाने की बात कह कर बात पर पर्दा डाल दिया गया पर बच्चों को उसी छत के नीचे ही पढ़ाया जाता रहा। जिसके कारण छत गिरा और बच्चे की मौत हो गई। हालांकि विपक्षी स्कूल प्रबंधन ने अपना पक्ष रखते हुए स्वयं को संस्था का पुजारी बताया और आवेदन विधितः योग्य नहीं होने का प्रार्थना किया था। साथ ही उन्होंने जिला प्रशासन से मृत छात्र के परिजन को 4 लाख मिलने की बात बताई और बेतिया नगर थाना में कांड संख्या 834/18 दर्ज होने की भी बात बताई और शिकायत वाद खारिज होने योग्य भी बताया।

आयोग के अध्यक्ष ने शिकायत वाद की सभी पहलूओं पर विचारण और साक्ष्यों का अवलोकन किया। जिसमें यह पाया कि शिकायतकर्ता संत आलुसियत स्कूल के सभी शुल्क को ससमय जमा कराता रहा है, जिससे स्कूल प्रबंधन की छात्र की शिक्षा व शारीरिक सुरक्षा की भी जिम्मेदारी सेवा प्रदाता की हैसियत से बनती है। शिकायतों के बाद भी छात्रों को टूटे छत के नीचे रखना कार्य का घोर उपेक्षा है, जिसके परिणामस्वरूप छात्र वैभव राज की मौत हुई।

जिला उपभोक्ता आयोग ने पक्ष व विपक्ष के सुनवाई के बाद विचारण करते हुए अपना आदेश शिकायतकर्ता के पक्ष में देते हुए पारित किया है। इस शिकायत वाद संख्या 60/2018 में शिकायतकर्ता ने स्कूल प्रबंध समिति के सदस्य जोटिल जोंस, प्राचार्य सुशील साह और उप प्राचार्य राबर्ट टिग्गा को आरोपी बनाकर वाद दायर किया था। जिसमें जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष गिरीश मिश्र और सदस्य योगेश कुमार मिश्र ने सुनवाई की और अध्यक्ष गिरीश मिश्र ने अपना निर्णय सुनाया है।

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