हजरत हुसैन की शहादत से इस्लाम का परचम लहराया

दिन रोता है रात रोती है 

हर मोमिन की जात रोती है 

जब भी आता है मोहर्रम का महीना

खुदा की कसम गमे हुसैन मे सारी  कायनात रोती है।

सासाराम से आए मौलाना सैयद कैसर रिज़वी ने सोमवार को इंद्रा चौक स्थित इमामबाड़ा मे मजलिस को सम्बोधित करते हुए कहा की इस महीने में मोहम्मद के नवासे हजरत इमामे हुसैन की शहादत इराक के शहर कर्बला में हुई थी।उस दौर का बादशाह यजीद था।उसके अंदर सारी खराबियां  थी।उसने पूरे आलम का बादशाह और ख़लीफ़ा घोषित कर दिया। 

मोहम्मद के नवासे हजरत इमामे हुसैन ने इसका विरोध किया।और ख़लीफ़ा मानने से इनकार कर दिया।यजीद ने कहा कि हजरत इमामे हुसैन को मैं ख़लीफ़ा मानने के लिये तैयार हूं।उसने हजरत इमामे हुसैन को  ख़लीफ़ा मानने के लिये धोखे से बुलाया।हजरते हुसैन अपने परिवार और कुछ साथियों के साथ इराक के शहर कर्बला पहुचे।जिनकी तादात 73 थी।

मुहर्रम के 9वी तारीख को यजीद ने सारे लोगो को दरिया के पानी पीने पर रोक लगा दिया। इसमे 6 माह के अली असग़र भी शामिल थे। 10वी मुहर्रम को हजरते हुसैन को नमाज पढ़ने के दौरान यजीदी सेना ने उनके शरीर को तीरो से छलनी कर दिया। उस जंग में 6 माह के अली असग़र को  भी नही छोडा उनकी शहादत रंग लाई और दुनिया मे इंसानियत बची।मजलिश को सम्बोधित करते हुए सारे शिया समुदाय के लोग जारों कतार रोने लगे। उसके बाद शिया समुदाय के लोग जिसमे बच्चे,बड़े और बुजरुग शामिल थे। 

सैय्यद अंजार हुसैन और सैय्यद इस्तकबाल हुसैन मर्सिया पढ़ने लगे। मर्सिया पढ़ते पढ़ते सभी कोई जोर जोर से अपने सीने को पीटते हुए या हुसैन या हुसैन जोर जोर से कहने लगे।ये लोग उस दौर  मे क़र्बला के मैदान मे शहिद हुए हुसैन के परिवार के लोगो को तकलीफ मिली थी उसी को। ये लोग भी सीना पीटते हुए महसूस करते है।मौके पर सैय्यद जहिर् हुसैन,हुसैन शब्बीर हुसैन,एजाज हुसैन,जहांगीर हुसैन,आसिफ हुसैन,रजा इमाम,सैय्यद यासिर हुसैन,सैय्यद अलीअसगर,इबादत हुसैन के साथ कई लोग शामिल थे.

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