मामला : जमीनी विवाद
बेतिया :- जिला पश्चिमी चम्पारण बैरिया प्रखंड अंतर्गत खिरिया घाट थाना बैरिया स्थित जमीन विवाद का मामला प्रकाश में आया है जिसमें प्रशासनिक रवैया के कारण भी तूल पकड़ रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार खिरिया घाट स्थित खाता 218 खेसरा 1088 रकवा 1डी0 12 कट्ठा 1 धूर जमीन स्थानीय निवासी गुलाम नुनिया को हासिल थी। उनके मृत्यु के पश्चात उक्त जमीन उनके वारिस द्वारिका महतो है लेकिन कोतवाली चौक निवासी असीम कुमार चटर्जी एवं चंदन कुमार चटर्जी द्वारा उक्त जमीन पर सिकारिया सिटी के नाम से बोर्ड लगाकर अपना दावा कर कब्जा किया गया है। जिससे विवाद उत्पन्न हो गई। इस मामला में डॉ अमरनाथ गुप्ता तथा सन्नी कुमार आदि का नाम भी आ रहा है।
उक्त जमीन को लेकर द्वारिका महतो ने 1 मार्च 2023 को बैरिया थाना तथा 6 मई 2023 को अनुमंडल पदाधिकारी बेतिया को आवेदन देकर जांच उपरांत कार्रवाई की मांग की थी पर कोई प्रशासनिक पहल नहीं हुआ और विवाद बढ़ता गया।
उसके बाद बेतिया पुलिस अधीक्षक को भी आवेदन पत्र दिया गया। तभी इस मुद्दे को लेकर झूठा रंगदारी आवेदन के तथ्यों पर दिनांक 27 जून 2023 दिन मंगलवार अर्धरात्रि में बैरिया थाना द्वारा द्वारिका महतो के घर में दरवाजा फांद घुसकर परिवार के साथ मारपीट किया गया जहाँ पुलिसकर्मी का पदचिन्ह का निशान एक लकड़ी के बक्से पर मौजूद परिवार वालो ने दिखाया। पुलिस द्वारिका महतो को थाने ले गई और मारपीट की, जिससे द्वारिका महतो के नाक कान से खून गिर गया जो थाने के बाहर जमीन पर दिखाई दिया और द्वारिका महतो का चेहरा सूजा हुआ नजर आ रहा था। जो मानवाधिकार का हनन है।
काफी संख्या में परिवार के लोगों ने बैरिया थाना पहुंचकर काफी आक्रोशित दिखाई दिए तो वही पुलिस द्वारा पत्रकारों के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया। वही बारह घण्टे के बाद पुलिस ने द्वारिका महतो को इलाज हेतु अस्पताल ले गई। उक्त विषय पर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि अगर पीड़ित परिजन आवेदन देती है तो इस पर जाँच की जायेगी। जबकि जमीनी विवाद में पुलिस की ज्यादा भूमिका नहीं रहती है इस मामले में पुलिस सिर्फ महज विधि व्यवस्था तक ही सीमित रहती है।
भूमि विवाद से संबंधित मामलों में सीओ एवं डीसीएलआर के माध्यम से सुलझाए जा सकते हैं। जमीन के तमाम रिकॉर्ड पुलिस के पास संधारित नहीं रहती है। जमीन के मालिकाना हक व टाइटल संबंधी विवाद, अनुबंधन तोड़ने, जमीन पर कब्जे और धोखाधड़ी के मामलों के निपटारे का अधिकार सिर्फ सिविल कोर्ट को है। उक्त जमीनी विवाद मामले में पुलिस पर भी सवालिया निशान हैं जिसकी जाँच आवश्यक है, बैरिया थानाध्यक्ष की भी संपत्ति जाँच होनी चाहिए जहाँ कुछ तथ्य सामने आ सकता है।
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