जनता दरबार नहीं लगने से, फरियादी मायुस हो घर लौटने पर विवश।


बेतिया |जिला में जिलाधिकारी के जनता दरबार की बात कहें या पुलिस उपमहानिरीक्षक तथा जिला पुलिस कप्तान की। जनता की समस्याओं के निदान के लिए लगने वाले जनता दरबार में पदाधिकारियों की उपस्थिति नहीं होने के कारण अपनी फरियाद लेकर आए फरियादी, इन पदाधिकारियों के कार्यालय में नहीं होने के कारण मायूस और विवश होकर घर लौट जाना पड़ता है। इस संबंध में नौतन थाना क्षेत्र के संत पुर के रहने वाली सपना खातून का कहना है कि अपने सास ससुर से प्रताड़ित होने का मामला लेकर वह कई बार चंपारण प्रक्षेत्र के डीआईजी साहब के पास जनता दरबार में आवेदन देने आईं परंतु साहब से भेंट नहीं होने के कारण वह घर लौट जाती हैं यही हाल बगहा के नट समुदाय से नयामत नट का भी कहना है कि सरकार कि ओर से घर बनाने के लिए मिली जमीन पर एक दबंग नेता तथा दबंग व्यक्तियों द्वारा कब्जा कर लिया गया है और इस संबंध में उसने कई बार पूर्व डीआईजी वर्तमान जिला पदाधिकारी सदर अनुमंडल पदाधिकारी बगहा अंचलाधिकारी बगहा तथा पटखौली में आवेदन भी दिया लेकिन आवेदन देने के बावजूद भी अभी तक प्रशासन के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं हो सका है पैसे के बल पर सारे मामले को निचले स्तर के पदाधिकारी दबा देते हैं जबकि जमीन के सारे कागजात उसके पास मौजूद है। अब नए डीआईजी से उम्मीद लेकर कई बार उनसे भेंट करने का कोशिश की लेकिन कार्यालय में नहीं रहने के कारण उनसे मुलाकात नहीं हुई। इसी तरह मझौलिया थाना क्षेत्र के भरवलिया गांव के रहने वाले उगर प्रसाद का कहना है कि उनके गांव से नदी पुल के पास जाने वाली कच्ची सड़क के निर्माण के लिए कई बार उनके साथ अन्य ग्रामीण आए लेकिन डीएम साहब का जनता दरबार नहीं लगने के कारण वे लोग घर लौट जाने को मजबूर और विवश हों जाते हैं तो वही एक और सिकटा थाना क्षेत्र के महेसडा गांव के रहने वाले मजदूर अर्जुन साहनी का कहना है कि रास्ते के ज़मीन पर कुछ लोगों ने घर बना लिया है जिससे आने जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और इस बात को लेकर वे तथा वहां के ग्रामीण एसपी साहब से मिलकर इसकी शिकायत करने की कोशिश, दो तीन बार की लेकिन साहब से भेंट नहीं होने के कारण वे सभी लौटकर घर चले आए अब सवाल यह उठता है कि जनता की समस्या के लिए बड़े अधिकारियों से लेकर निचले स्तर के पदाधिकारियों तक का जनता दरबार लगाना है और जनता की समस्याओं को सुनना है तथा उसका निदान भी करना है लेकिन जब आला अधिकारी का जनता दरबार नहीं लग पा रहा है और लग भी रहा है तो आम जनता का समस्या का निदान नहीं हो पा रहा है तो निचले स्तर के अधिकारियों के जनता दरबार का क्या हाल होगा,यह आप और हम स्वयं सोच सकते हैं, जहां बिहार के मुख्यमंत्री जनता दरबार में जनता की समस्याओं को हल होने की बात करते हैं वही उनके निचले स्तर के पदाधिकारी इस प्रकार का रवैया अपना रहे हैं जो अपने आप में एक सोचनीय विषय है मामला जो भी हो यह तो अपने आप में एक सवाल है कि आखिरकार पदाधिकारियों का जनता दरबार अपने निर्धारित समय, दिन को क्यों नहीं लगता?अगर समय और दिन में परिवर्तन किया गया हो तो आम जनता को जानकारी होनी चाहिए।

टिप्पणियाँ