सारण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी शिक्षक नेता प्रो परवेज आलम ने बिहार सरकार पर शिक्षक विरोधी होने का लगया आरोप

बेतिया (सोनू भारद्वाज) सारण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी शिक्षक नेता प्रो परवेज आलम ने बिहार सरकार पर शिक्षक विरोधी होने का आरोप लगाया है उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से शिक्षकों की पीड़ा बयान करते हुए कहा की आज बिहार में विधायकों मंत्रियों का वेतन बढ़ाया जा रहा है दूसरी तरफ वित्तरहित कर्मियों का वर्षों से अनुदान का भुगतान नहीं हो रहा है विभिन्न तरह के जांच के नाम पर छात्रोउन्नति के आधार पर मिलने वाला अनुदान रोककर सैकड़ों कर्मियों की जीवन लीला समाप्त कर दी इसके लिए दोषी पदाधिकारियों पर हत्या का केश दर्ज हो ताकि मृत कर्मियों को न्याय मिल सके बिहार सरकार के शिक्षा नीति एक मजाक बनकर रह गई है एक तरफ सरकार वित्तरहित संस्थानों में कार्य करने वाले कर्मियों को छात्रउन्नति के आधार पर अनुदान देने का निर्णय लिया था और 2014 तक अनुदान भी दिया लेकिन 2020 में अचानक बोर्ड ने एक विज्ञप्ति निकाल यह घोषणा कर दिया की 509 अनुदानित कालेजों की मान्यता 2016 में ही समाप्त हो चुकी है अब नए सिरे से 2011,13 के नियमावली से इन्हे जांच कराकर पुन मान्यता लेनी होगी और अनुदान भी उसी के बाद मिलेगा जबकि ये सभी कालेज 1992,94 नियमावली से मान्यता प्राप्त हैं इनपर जबरन नया नियमावली थोपना इन कालेजों को बंद करने की साजिश है। एक तरफ इनकी मान्यता समाप्त घोषित कर अनुदान पर रोक लगाई है वहीं लगातार हर वर्ष इन कालेजों में नामांकन होता रहा पंजीयन बोर्ड करती रही परीक्षा प्रपत्र भरते रहे इसके एवज करोड़ों रुपए बोर्ड कोफीस के रूप में मिलती रही और परीक्षा फल भी प्रकाशित होते रहे जब बिहार सरकार ने अपने कैबिनेट से यह निर्णय लिया था कि परीक्षा फल के आधार पर अनुदान दिया जाएगा तो अभी कल 2023 इंटर का भी रिजल्ट घोषित हो गया है तो हमें 2023 तक का अनुदान मिलना चाहिए क्योंकि सरकार को रिजल्ट पर ही अनुदान देना है जॉच, मान्यता इत्यादि से अनुदान को प्रभावित करना न्यायसंगत नहीं है विडंबना तो इस बात की है इनका दुख दर्द सुनने वाला कोई नहीं है अभी चुनाव है इस समय सभी उम्मीदवार वित्तरहित कर्मियों का मसीहा बनकर मिल रहे हैं लेकिन बाद में कोई नहीं सुनता हमें एक भी ऐसा विधान परिषद सदस्य नहीं मिला जो इनकी लड़ाई सड़कों पर साथ लड़े। इस सरकार में विधायक मंत्री माला माल हैं और शिक्षक कंगाल हैं। और शिक्षा विभाग का काम केवल नामांकन कराना, परीक्षा प्रपत्र भरवाकर परीक्षा लेना और आननन फानन में मूल्यांकन कराकर सबसे पहले रिजल्ट देना नीचे क्लास में खिचड़ी और ऊपर क्लास में डिग्री बांटना ही इनका कार्य रह गया है बिहार के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री भी इस विषय पर मौन धारण कर चुके हैं जो शिक्षक और शिक्षा हित में नहीं है।

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