एईएस/चमकी से बचने के लिए सावधानी जरूरी: सिविल सर्जन

चनपटिया प्रखंड में एईएस/चमकी के मामलों के पूर्व की जा रही है मॉनिटरिंग

06 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी की रहती है संभावना, कड़ी धूप में निकलने से बचें

बेतिया । गर्मी की शुरुआत के साथ ही एईएस/चमकी का मामला दिखाई पड़ने लगता है। इससे बचाव को स्वास्थ्य विभाग जोर शोर से तैयारियों में लग गया है। सिविल सर्जन के निर्देशानुसार चनपटिया प्रखंड के बकुलहर में डीवीडीसीओ डॉ हरेन्द्र कुमार एवं भीबीडीएस डॉ सुजीत कुमार वर्मा द्वारा एईएस/चमकी के मामलों के पूर्व ही स्वास्थ्य केंद्रों की मॉनिटरिंग की जा रही है। भीबीडीएस डॉ सुजीत कुमार वर्मा ने बताया कि पीएचसी के निरीक्षण में किसी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं पाई गई है।  चनपटिया में सभी संसाधनों की व्यवस्था उपलब्ध है। वहीँ गंभीर मामलों के होने पर मरीज को रेफर करने की व्यवस्था भी की जाएगी। 

उन्होंने बताया कि लोगों को चमकी के प्रमुख लक्ष्णों की जानकारी होना काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि लगातार तेज बुखार, बदन में ऐंठन ,दांत पर दांत दबाए रहना, सुस्ती चढ़ना, कमजोरी की वजह से बेहोशी होने या चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न हो तो ऐसे में बच्चों का तुरंत उपचार किया जाना जरूरी होता है।


सावधानी बरतनी आवश्यक है-

पश्चिमी चंपारण के सिविल सर्जन डॉ रमेश चँद्र ने बेतिया के जिला स्वास्थ्य समिति में पदभार ग्रहण करते हुए अधिकारियों को संबोधित करते हुए बताया कि एईएस के मामलों से बच्चों को बचाने के लिए सभी पीएचसी के प्रभारियों व स्वास्थ्य अधिकारियों को अलर्ट रहना होगा। उन्होंने बताया कि अप्रैल से जुलाई तक के महीने में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी की संभावना ज्यादा होती है। उन्होंने बताया कि बच्चों को सुरक्षा के लिए धूप में निकलने से बचना चाहिए। अधपके कच्चे फल का सेवन नहीं करना चाहिए।  साथ ही साफ सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। चमकी से प्रभावित बच्चों का सही समय पर तुरंत इलाज होना जरूरी है। सीएस ने बताया कि चमकी के लक्षण मिलते ही बच्चों को तुरंत सरकारी अस्पताल ले आएं, बिल्कुल भी देरी न करें।


चमकी की  रोकथाम के लिए होगा प्रचार- प्रसार-

वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेन्द्र कुमार ने बताया कि चमकी से ग्रसित बच्चों के लक्षणों व उससे बचाव के विषयों पर स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।  ताकि इसके मामलों में कमी आ सके। चमकी प्रभावित क्षेत्रों में आरबीएसके चिकित्सकों, जीविका दीदियों, आशा फैसिलिटेटरों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से चमकी बुखार के लक्षणों को समझाते हुए जगह जगह चौपाल लगाया जाएगा।


चमकी बुखार से बचाव को ये सावधानियां हैं जरूरी -

- बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।

- गन्दगी से बचें, कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।

- ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।

- रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।

- बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।

- पारासिटामोल की गोली या सिरप दें।

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