लौरिया | थाइलैंड देश के 96 बौद्ध भिक्षु पैदल चलकर रामपुरवा से लौरिया पहुंचे। सबसे पहले सभी बौद्ध भिक्षु मौंक फरा फरावत के नेतृत्व में अशोक स्तंभ पहुंचकर घंटों पूजा अर्चना किया। इस बाबत दूसरे मॉक फरा छुछुई ने द्विभाषी जीवनलाल के माध्यम से बताया कि यह बहुत ही अद्भुत और दर्शनीय लौरिया का बौद्ध स्थल है। हम सब यहां आकर अपने को बहुत भाग्यशाली समझ समझते हैं इसलिए वर्ष में एक बार अपने देश से भारत आना होता है।
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अशोक स्तंभ पर प्रार्थना करने के बाद सभी बौद्ध भिक्षु पैदल विशुनपुरवा मंदिर परिसर में जाकर अपना अस्थाई आशियाना तैयार कर आराम कर रहे हैं। साथ ही दुयभाषीया जीवनलाल ने बताया कि शनिवार को सुबह अरेराज होते हुए केसरिया के लिए प्रस्थान करेंगे।
इधर सिसवनिया पंचायत के मुखिया कन्हैया प्रसाद कुशवाहा ने सभी बौद्ध भिक्षुओं का सत्कार करते हुए उन्हें नाश्ता के साथ साथ चाय पिलाया। सभी पर्यटकों ने उनका सम्मान स्वीकार किया।
इधर मॉक फरा फरावत ने बताया कि वे सब बीते वर्ष 11 दिसंबर को थाइलैंड से कोलकाता पहुंचे। इसके बाद वे लगातार पैदल यात्रा कर रहे हैं।
वे 1जनवरी को बोधगया आए, उसके बाद सारनाथ, इलाहाबाद, कौशांबी, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, (लुमनी ), कुशीनगर, रामपुरवा होते हुए लौरिया पहुंचे हैं। शुक्रवार को आराम करने के बाद नंदनगढ़ पहुंचकर अपने इष्ट देव भगवान बुद्ध का दर्शन करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि जिस जिस रास्ते से भगवान बुद्ध पैदल चलकर यात्रा किये थे, हम उन्हीं का अनुसरण करते हुए चल रहे हैं। अन्य भिक्षुओं में फारा चालो, फरा, सूचत, परसेरी, जसोडा, कोपकित ,सैक सहित सैकड़ों बौद्ध भिक्षु शामिल थे।
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