मुजफ्फरपुर के वीसी व रजिस्ट्रार करोड़ों के घोटाला में नामजद अभियुक्तों को सहायक अनुदान की राशि 5 करोड़ 70लाख रूपये वितरण करने को दिया
करोड़ों के घोटाला के अभियुक्तों को गिरफ्तार व वीसी , रजिस्ट्रार का नाम एफआईआर में जोडने की सुचक ने लगाई गुहार
विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्टार को घोटाला में पश्चिम चम्पारण जिला सत्र पंचम न्यायधीश ने दोषी मानकर अग्रिम जमानत खारिज किया
बगहा । बगहा नगर स्थित पंड़ित उमाशंकर तिवारी महिला कालेज में बिहार सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के करोड़ों के घोटाला में, बगहा नगर थाना में कांड संख्या 156/22 दर्ज प्राथमिकी में आरोपियों द्वारा सूचक और गवाहों को धमकी दिये जाने के विरूद्ध आरोपियों को गिरफ्तार करने और मुजफ्फरपुर विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार को प्राथमिकी में नाम शामिल करने की गुहार घटना के सूचक ने बगहा पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर लगायी है।
घोटाला के सूचक प्रो. अरविन्द नाथ तिवारी ने आवेदन देकर पुलिस अधीक्षक किरण कुमार गोरख जाधव से कहा है कि उपर्युक्त कांड के आरोपियों का जिला सत्र पंचम न्यायाधिश पश्चिम चम्पारण ने 21.12.2022 को अग्रिम जमानत महालेखाकार रिपोर्ट, बिहार सरकार एवं अन्य साक्ष्यों के आधार पर खारिज कर दिया।
अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद बगहा नगर पुलिस द्वारा आरोपियों की गिरफतारी अब तक सुनिश्चित नहीं की गयी, दुसरे तरफ आरोपी खुल्लेआम -बाजार, चौक-चौराहों पर घुम रहे हैं और अपने खुशमदों के माध्यम से मुझे और गवाहों को धमकी भेजवा रहे हैं, कि तुम सब केस उठालो, वरना बाल-बच्चा समेत बरबाद हो जाओगे।
जिसकी सूचना श्रीमान को 7.1.2023 को लिखित आवेदन दिया था, परन्तु पुलिस के तरफ से कोई कारवाई नहीं की गयी। वहीं विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्टार को घोटाला में जिला सत्र पंचम न्यायधीश ने दोषी माना है, इधर पुन: विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दर्ज प्राथमिकी और महालेखाकार रिपोर्ट ऑडिट रिपोर्ट की अवहेलना करते हूए आरोपियों को लाभ पहुंचाने की नियति से बिहार सरकार द्वारा दी गयी सहायक अनुदान की राशि सत्र 2012 से 2015 तक का 5 करोड़ 70 लाख रुपया क वितरण करने के लिए दे दिया।
प्राचार्य और शासी निकाय पूर्व की तरह हमलोगों को अनुदान से वंचित करते हुए अपने चहेतों के बीच में कुल रूपया का वितरण कर भी दिया, अगर पुलिस द्वारा विश्वविद्यालय के वीसी रजिस्ट्रार पर प्राथमिकी दर्ज करने के साथ कालेज प्रबन्धन पर कारवाई की होती, तो पुन:बिहार सरकार द्वारा दी गयी सहायक अनुदान की राशि को बंदरबांट और घपला होने से बचाते हुए समानुपातिक ढंग से वितरण किया गया होता।इस सन्दर्भ में पुलिस अधीक्षक ने अग्रेत्तर कारवाई करने को कहा है।
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