विश्वासघात: 2023-24 का केंद्रीय बजट आम जनता की उम्मीदों से विश्वासघात: माले


बैरिया 05 फरवरी भाकपा-माले नेता और किसान महासभा के जिला अध्यक्ष सुनील कुमार राव ने कहा है कि 2023-24 का केंद्रीय बजट देश में बढ़ती आर्थिक असमानता को कम करने, सार्वजनिक सेवाओं पर सरकार के खर्च व रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और कमरतोड़ महंगाई से राहत प्रदान करने की लोगों की उम्मीदों के साथ विश्वासघात है. उक्त बातें केन्द्रीय बजट पर भाकपा-माले के राष्ट्र्व्यापी कार्यक्रम के तहत बैरिया बाजार में निकाले गए मार्च के बाद प्रधानमंत्री मोदी के पुतला दहन के बाद सभा को संबोधित करते हुए कहा.उन्होंने कहा कि विगत 8 सालों में इस सरकार ने जितने भी वादे किए, उनमें से कोई भी अब तक पूरा नहीं हुआ. ‘सभी के लिए आवास’, ‘किसानों की आय दुगुनी करने, ‘5 साल में इंफ्रास्ट्रक्चर में 100 लाख करोड़ का निवेश’, ‘2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था’ आदि की बड़ी -बड़ी बातें तो की गई, लेकिन इनमें एक भी लक्ष्य हासिल नहीं हो सके.

नेता सुरेन्द्र चौधरी ने कहा बेरोजगारी के कारण युवाओं में देशव्यापी गुस्से को देखते हुए उम्मीद की जा रही थी कि सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर सरकार अविलंब बहाली की घोषणा करेगी, लेकिन बजट में ऐसा कुछ नहीं दिखा.

 माले नेता और मुखिया महासंघ के प्रवक्ता नवीन कुमार ने कहा ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों को जहां एक तरफ रोजगार नहीं मिल रहा है, वहीं मनरेगा में 60 हजार करोड़ रुपये की कटौती कर दी गई है. खाद्य पदार्थाें पर चालू वर्ष की तुलना में 90000 करोड़ सब्सिडी में कमी कर दी गई है. उन्होंने कहा शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और सामाजिक कल्याण के प्रमुख क्षेत्रों में भी सावर्जनिक खर्च का नहीं बढ़ाया गया है और इस तरह इसका बोझ आम लोगों पर ही डाल दिया गया है. कुल मिलाकर बजट से महंगाई, बेरोजागरी की मार झेल रही जनता को किसी भी प्रकार की राहत नहीं मिली है.

मौके पर भाकपा-माले नेताओं मोजम्मिल हुसैन, जोखू चौधरी, ठाकुर साह, बिनोद कुशवाहा,हारून गद्दी, शिवप्रशन मुखिया, छोटे मुखिया आदि उपस्थित थे.

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