कब तक होता रहेगा औरतों की अस्मत से खिलवाड़ : प्रभुराज

बेतिया (सोनू भारद्वाज)अखिल भारतीय किसान सभा की केंद्रीय किसान कमेटी के सदस्य तथा बिहार राज्य किसान सभा के उपाध्यक्ष प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि आज अपने देश में महिलाओं के साथ जो हिंसा का रफ्तार बढ़ रहा है । वह सही मायने में आज हमारी समाज व्यवस्था में एक कोढ़ बन कर आगे बढ़ रहा है । दलित महिलाओं पर हमला करने वाली जातिवादी तथा सांप्रदायिक बदतमीज किस्म की हिंसा का सामना करना पड़ रहा है । सही में ऐसा करने वाले जातिवादी तथा पितृसत्तात्मक व्यवस्था द्वारा उनको अभयदान मिला हुआ है । आज यही कारण है कि 75% अपराधी अपराध से मुक्त हो जाते हैं और इस कुकृत्य में दोषी व्यक्तियों को सजा बहुत कम मिलती है । क्योंकि पुलिस की पूर्वाग्रही सोच ,अदालती प्रक्रिया की जटिलता के चलते देर से मिलने वाले निर्णय पीड़ितों पर समझौता करने के लिए सामाजिक दबाव बना देते हैं ।

भारत में 2021 के आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि 86 महिलाओं के साथ रोज बलात्कार हो रहा है । यह संख्या थानों में दर्ज कराए गए रिपोर्ट के आधार पर है । जबकि रिपोर्ट दर्ज नहीं कराए गए अपराधों की संख्या कहीं ज्यादा है । प्रति घंटे महिलाओं के खिलाफ थानों में 49 मामले दर्ज होते हैं । 

घरेलू हिंसा महिलाओं के विरुद्ध एक अघोषित युद्ध ही है । इस घटना से इतनी मौतें होती हैं । जो परंपरागत युद्धों में होने से ज्यादा है । इस तरह की हिंसात्मक घटनाएं साम्राज्यवादी देशों में ज्यादा हो रही है।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंथोनियो गुटारेज ने कहा कि पूरी दुनिया में हर 11 मिनट पर एक महिला या लड़की को कोई नजदीकी सम्बंधी, परिवार के सदस्य या प्रेमी द्वारा उसकी हत्या कर दी जाती है ।

घरेलू हिंसा को मौजूदा निजाम में एक नई ताकत मिली है । यह एक ऐसी आदर्शवादी घटना का प्रचार प्रसार करता है । जो इस तरीके के आचरण के हिस्से के तौर पर अपने पति या रिश्तेदारों की हिंसा को बर्दाश्त करती रहे । 

इस सरकार का वैवाहिक बलात्कार को एक अपराध मानने से इनकार करना है । क्योंकि उसकी समझ है किससे परिवार टूटता है ।संस्कृति परिवार के रिश्तो का जनतांत्रिक करण करने और महिलाओं की बराबरी की हिफाजत करने के रास्ते में एक बहुत बड़ी बाधा है । इससे भी खतरनाक अवस्था तब आती है , जब किसी अभियुक्त को धर्म के आधार पर बलात्कार के मामलों का सांप्रदायिक करण किया जाता है ।

बिलकिस बानो के साथ सांप्रदायिक अपराधियों द्वारा सामूहिक बलात्कार करना तथा स्वयं गुजरात सरकार द्वारा एफिडिविट देकर बलात्कारी हत्यारों की रिहाई के लिए सुप्रीमकोर्ट में सुनी जा रही याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मंजूरी दे देना.

इस तरह धर्म के आधार पर इस जघन्यतम अपराध करने वाले बलात्कारी हत्यारों को उनसे राजनीतिक लगाव के आधार पर रिहा कराने में गृहमंत्री अमित शाह का हाथ था । इतना ही नहीं रिहा किए गए बलात्कारियों को भाजपा और संघ नेताओं द्वारा माला पहनाकर मिठाइयां खिलाया गया । यह कोई संजोग ही नहीं है । बल्कि कोई हिंदू महिला होती तो संघ तथा भाजपा सरकार बलात्कारियों को फांसी दिए जाने की वकालत करती ।

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