पुलिस और पब्लिक के आपसी सामंजस लग सकता अपराध पर अंकुश


बेतिया समाज में आए दिन दिन प्रतिदिन आपराधिक गतिविधि बढ़ती ही जा रही चाहे वह शराबबंदी, बाल विवाह या किसी की हत्या हो या चोरी या किसी भी प्रकार की अपराधिक मामले जो कानून की नजर अपराध है और इन अपराधों रोकने के लिए सरकार समाज के बीच रक्षक के रूप पुलिस को जिम्मेवार दी है फिर भी ऐसी हो रही घटनाओं का ग्राफ कम होने का नाम नहीं लेता है जो पुलिस प्रशासन की एक चिंता का विषय बन जाता पर कभी किसी ने सोचा है की आखिर कार इन घटनाओं का कैसे सफलता हासिल हो सकती है कहीं ना कहीं पुलिस और पब्लिक आपसी तालमेल की कमी है अगर पुलिस आम जनता के साथ मित्रता पूर्वक व्यवहार करें और शालीनता के साथ पेश आए तो प्रत्येक जिम्मेदार नागरिक पुलिस को इन हो रही घटनाओं किसी न किसी रूप में मदद करके इन अपराधों को कम करने मददगार साबित हो सकते हैं परंतु ऐसा कब होगा जब पुलिस को जनता के बीच अपना विश्वास जगाना होगा लेकिन सवाल यह भी है सभी वर्दीधारी ऐसे नहीं होते कुछ वर्दी धारियों के नासमझी और गलती के पुलिस प्रशासन और जनता के बीच विश्वास नहीं पनप पता और एक की गलती के कारण कई पुलिस वालों को बदनामी झेलनी पड़ती है और चाह के भी एक जिम्मेदार नागरिक पुलिस को समाज बढ़ते अपराधों को रोकने में सहयोग करने से धबराते है इसका एक जीता जागता उदाहरण बेतिया महिला थाना के कांड संख्या 32/ २१ में देखने और सुनने को मिल रहा है जिसमें जमीनी हकीकत कुछ और है और एक पुलिस के लापरवाही के का कुछ और प्राथमिकी दर्ज दर्शाया गया तथा एक निर्दोष नौतन थाना क्षेत्र के गहरी कोठी के रहने वाले सीएसपी संचालक रविकांत को जेल की हवा खानी पड़ रही है इस प्राथमिकी पुलिस ने जो प्राथमिकी दर्ज की है उसमें यह बताया गया है कि खुशबू कुमारी की शादी रविकांत कुमार से हुई है तथा रविकांत खुशबू के साथ शारीरिक संबंध बना शारीरिक शोषण किए एवं खुशबू नाबालिक है जब इसकी जांच पड़ताल की गई तो खुशबू के आधार कार्ड पर पति का नाम मुन्ना गिरी अंकित है खुशबू के मतदाता सूची एवं मतदाता पहचान पत्र मुन्ना गिरी अंकित है खुशबू के बैंक खाता पर मुन्ना गिरी अंकित है.

प्रधानमंत्री किसान सेवा योजना की मिलने वाले राशि हर जात पर मुन्ना गिरी अंकित इतना ही नहीं इन सभी कागजातों को खुशबू की जन्मतिथि जो दर्शाया गया उन कागजातों के आधार पर खुशबू बालिक है इसके अलावा खुशबू के पैन कार्ड एवं जन्म प्रमाण पत्र पर अंकित जन्मतिथि अनुसार खुशबू बालिक नजर आ रही है सबसे पहले की बात त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में खुशबू पंचायत चुनाव में मतदान भी किया है अब यह सवाल जहां यह सारे कागज खुशबू को मुन्ना गिरी की पत्नी बता रहे हैं और वालीक भी तो दूसरी तरफ पुलिस द्वारा चनपटिया के औरैया स्थित प्राथमिक बुनियादी विद्यालय द्वारा सादे कागजात पर प्रभारी प्रधानाध्यापक द्वारा प्रमाणित जन्मतिथि के आधार पर खुशबू को नाबालिक बताया गया है हां पास्को एक्ट तहत कार्यवाही की गई अब गंभीर सवाल है की विद्यालय ने खुशबू को विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र क्यों नहीं दिया पुलिस ने सच्चाई जानने के लिए कक्षा वर्ग उत्तरिण करने का अंक प्रमाण पत्र क्यों नहीं लेना जरूरी समझा सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार छात्रों को दिए जाने वाले राशि का विवरण विद्यालय से क्यों नहीं लेना उचित समझा दूसरी ओर जब खुशबू ने सपना नाम से प्राथमिकी दर्ज कराई तो उस समय प्राथमिकी में खुशबू ने अपना उम्र तथा अपना खुशबू नाम क्यों नहीं दर्ज कराई जब प्राथमिकी अनुसार खुशबू नाबालिक थी और 2016 में मुन्ना गिरी से अपनी शादी बताई है तो पुलिस के अनुसार उस समय खुशबू महज 13 वर्ष की थी तो पुलिस ने शादी कराने वाले खुशबू के पिता वीरू गिरी एवं उसके ससुर को बाल विवाह अधिनियम के तहत कार्यवाही क्यों नहीं है इस संबंध में जेल की हवा खा रहे रविकांत के पिता पुण्य देव प्रसाद एवं रविकांत के अधिवक्ता अवनीश शर्मा ने बताया की पुलिस द्वारा पूरी मिलीभगत से कानून को ताक पर रखकर यह सारा काम किया गया जिस कारण एक पुलिस वाले की गलती कारण समाज में जहां गलत संदेश जाता है वही अन्य ईमानदार एवं स्वच्छ छवि वाले पुलिस प्रशासन की भी छवि धूमिल होती है मामला जो भी लेकिन पुलिस प्रशासन को चाहिए की जनता में विश्वास बढ़ाने के लिए अपनी छवि को सुधार करें जिससे समाज में बढ़ रही विभिन्न प्रकार के अपराध पर काबू पाया जा सके.

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