मरचा धान/चूड़ा को जीआई टैग हेतु कोलकाता के ट्रेड मार्क ऑफिस में बेतिया टीम द्वारा दिया गया फाइनल प्रजेंटेशन

जीआई, रजिस्ट्री, चेन्नई के विशेषज्ञों द्वारा सूक्ष्मता से सभी बिन्दुओं का किया गया मूल्यांकन।

जीआई टैग मिलने के और करीब पहुँचा जिला

बेतिया (सोनू भारद्वाज)। पश्चिमी चम्पारण जिले के मरचा धान/चूड़ा को वैश्विक पहचान दिलाने हेतु जीआई टैग के लिए जिला प्रशासन द्वारा हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। जीआई टैग मिलना एक जटिल प्रक्रिया है। बावजूद इसके जिलाधिकारी, पश्चिमी चम्पारण, श्री कुंदन कुमार के दिशा-निर्देश के आलोक में अधिकारियों की एक पूरी टीम मरचा चूड़ा को जीआई टैग दिलाने के लिए करीब डेढ़ साल से कार्य कर रही है। यह प्रयास अब अंतिम चरण में है, शीघ्र ही जिले के मरचा चूड़ा को जीआई टैग मिलने की प्रबल संभावना है। जिला प्रशासन की टीम द्वारा जीआई, रजिस्ट्री, चेन्नई के विशेषज्ञो के समक्ष आज ट्रेड मार्क ऑफिस, कोलकाता में मरचा धान/चूड़ा से संबंधित प्रजेंटेशन दिया गया। इस दौरान जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई के विशेषज्ञों द्वारा अत्यंत सूक्ष्मता से सभी बिन्दुओं का मूल्यांकन किया गया। प्रजेंटेशन एवं मूल्यांकन के फलस्वरूप पश्चिम चम्पारण जिले के विश्व विख्यात मरचा धान/चूड़ा को जीआई टैग मिलने की प्रबल संभावना है। इस हेतु जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई के विशेषज्ञों द्वारा जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया गया है।

प्रजेंटेशन संबंधी बैठक में वरीय उप समाहर्ता डॉ0 राज कुमार सिन्हा, निदेशक अनुसंधान, डॉक्टर पी0 एस0 ब्रह्मानंद, वरीय प्लांट ब्रीडर, डॉ एन0 के0 सिंह, सहायक निदेशक उद्यान विवेक भारती एवं कृषक लक्ष्मी कुशवाहा, आनंद सिंह ने भाग लिया। इस कार्य में डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विद्यालय, पूसा के निदेशक अनुसंधान डॉ0 पी0एस0 ब्रम्हानंद, वैज्ञानिक डॉ एन के सिंह एवम वरीय उप समाहर्ता डॉ राज कुमार सिन्हा, सहायक निदेशक, उद्यान, विवेक भारती सहित कृषक प्रतिनिधियों द्वारा सराहनीय भूमिका निभायी गयी।जिलाधिकारी द्वारा इस पर प्रसन्नता व्यक्त की गयी और लगभग डेढ़ साल से लगातार अथक परिश्रम कर रही पूरी टीम की सराहना की गयी है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग की पूरी टीम, कृषकगण, एसडीसी, श्री राज कुमार सिन्हा, डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विद्यालय, पूसा के डॉ0 ब्रह्मानंद सहित उनकी पूरी टीम ने अत्यंत ही सराहनीय कार्य किया है, जो अब फलीभूत होने वाला है। उन्होंने कहा कि मरचा धान का डीएनए फिंगर प्रिंटिंग, बायोकेमिकल एनालिसिस आदि कार्यों के सफल निष्पादन में इनकी सराहनीय भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि मरचा धान/चूड़ा का निबंधन (जीआई टैग) हो जाने के बाद मरचा धान के चूड़ा की मांग देश-विदेशों में पूरी की जा सकेगी। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी तथा रोजगार भी वृद्धि होगी। पश्चिमी चम्पारण जिले के विकास में मरचा चूड़ा को जीआई टैग मिलना अत्यंत ही कारगर साबित होगा। उन्होंने कहा कि मरचा चूड़ा को जीआई टैग मिलना पश्चिम चम्पारण जिले के लिए एक बेहतरीन उपलब्धि होगी। पूरी दुनिया यह जान सकेगी कि मरचा चूड़ा/धान का उत्पादन सिर्फ और सिर्फ पश्चिम चम्पारण जिले में ही होता है।

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