बिहार प्रदेश, भारत की राजनीति का प्रयोगशाला है : विजय कश्यप

बेतिया (सोनू भारद्वाज)। बिहार प्रदेश, भारत की राजनीति का प्रयोगशाला है ,जहां पर नेशनल से लेकर सोशल इंजीनियरिंग तक की बात लोग पढ़ते हैं ,और उसी के आधार पर देश के संविधान के दायरे में बैठकर देश की राजनीति की दिशा तय होती है।

जहां तक के प्रदेश की समस्याओं की बात है तो खासकर प्रशांत किशोर, जो आज बेतिया में आए हुए हैं ,उनके बारे में मैं कहना चाहूंगा कि,वह शुद्ध रूप से एक व्यवसायिक एवं दिग्भ्रमित युवा है।

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प्रशांत किशोर को ज्यादा नहीं तो कम से कम 1917 से लेकर 1967 तक का बिहार की राजनीति की उथल-पुथल के बारे में अध्ययन करना चाहिए। भितिहारवा के साथ-साथ रमपुरवा का अध्ययन करना चाहिए, एवं चंपारण जो पूरे देश की एक मान एवं स्वाभिमान है, पूरी दुनिया की निगाहें भगवान बुद्ध की जन्मस्थली चंपारण पर टिकी हुई है , सारी दुनिया मानवता और इंसानियत का संदेश प्राप्त करती, है उसके बारे में भी उनको अध्ययन करना चाहिए, रही बात राजनीति की तो 8 अक्टूबर 2013 का सर्वोच्च न्यायालय का चुनाव एवं ईवीएम पर फैसला जिसमें ईबीएम में सुधार की जरूरत है, लोकतंत्र का जो स्तंभ ईवीएम बन गया ईवीएम के बारे में अध्ययन करना चाहिए ,उच्चतम न्यायालय के फैसले को आज तक लागू नहीं किया गया ,बिहार प्रदेश में भी सर्वोच्च न्यायालय के ईबीएम संबंधित फैसले को लागू नहीं किया गया जिस पर कोर्ट ऑफ कंटेंपट, बिहार सरकार पर हो चुका है, एवं रही बात बेतिया की तो बेतिया के गांवों को नगर निगम में शामिल कर  एक बहुत बड़ा अरबों  का घोटाला किया गया है ,इसके बारे में प्रशांत किशोर जी कुछ नहीं बोलते ।

रही बात जनप्रतिनिधियों की जो जनप्रतिनिधि जो भी बोले भारतीय स्टांप पेपर पर बोले जिसकी शुरुआत बेतिया नगर निगम की महापौर प्रत्याशी गीता कश्यप ने की है, प्रशांत किशोर जी बेतिया की समस्याओं पर कुछ नहीं बोल सकते तो कम से कम अपनी बातों के इस टाइम स्टैंप पेपर पर लिखकर घोषित करें ,तथा राजनीति में सौ परसेंट व्यवसायीकरण को रोके ,एवं कार्यकर्ता आधारित राजनीति को बढ़ावा दें,जमीनी कार्यकर्ताओं को महत्त्व एवं स्थान दें सिर्फ अपेक्स कंपनी जैसी मल्टीनेशनल कंपनी के  पेड एजेंटों के बल पर राजनीति ना करें, पिछले 6 महीनों से इनके 100 से ज्यादा टीम और पूरे देश में 4000 पॉलीटिकल भाड़े की एक्टिविस्ट ने सारे देश के राजनीतिक वातावरण को पैसे के बल पर प्रदूषित कर रखा  है।  आम आदमी के हित में यह घातक है। इसको अंकुश लगा सके तो लगाएं और एक आम आदमी की तरह भारत की राजनीति में आए।

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