बेतिया (सोनू भारद्वाज) बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन एटक पं चम्पारण की ओर से बारह सूत्री मांगों को लेकर जिला पदाधिकारी के समक्ष एक दिवसीय धरना देकर सेविका सहायिका के समस्याओं से अवगत कराया गया सेविका सहायिका सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आई सी डी एस के लक्ष्यों एवं उदेश्यों को सहर जमीन पर अमलीजामा पहनाने का कार्य करती जो सेविका सहायिका दूसरे के बच्चों को कुपोषण से बचाने का काम करती आज सरकार की उदासीनता के कारण उनके बच्चे ही कुपोषण का शिकार हो रहे हैं, तथा उन्हें मानसिक प्रताड़ना का शिकार होना पड रहा है, एक तरफ उन्हें पेट भरने लायक मानदेय नहीं मिल रहा वहीं दूसरी तरफ केन्द्र को संचालित करने में साधनों के अभाव को भी झेलने के लिए मजबूर होना पड रहा है तो तीसरी तरफ जांच के नाम पर उनके हौसले को पस्त किया जा रहा है, धरना को संबोधित करते हुए पं चम्पारण एटक नेता ओम प्रकाश क्रांति ने बताया कि केरल की सेविका को बारह हजार तथा सहायिका को आठ हजार मानदेय मिलता केन्द्र पर आने वाले बच्चों को बैठने के लिए कुर्सी मिलता तथा खेल कूद के पर्याप्त साधन मुहैया कराने के साथ साथ अन्य सुविधाएं मिलता यहाँ बिहार में तो बच्चों को बैठने के लिए दरी और पाती भी उपलब्ध नहीं है, खाना पकाने के लिए बर्तन भी पर्याप्त नहीं है, सेविका जिस किराये के मकान में केन्द्र चलाती उसका भाडा भी बर्षो तक नहीं मिलता और कभी भाडा की राशि आती भी तो विभागीय अधिकारी और कार्यालय कर्मी बिना चढावा के भुगतान भी नहीं करते, आज सेविका से सभी काम एवं प्रतिवेदन आंन लाईन मांगें जा रहे हैं लेकिन बर्षो पूर्व उनको दिये गये मोबाइल काम करना बंद कर दिया है जिसकी शिकायत कोई सुनने वाला नहीं.
इन सारी समस्याओं को झेलते हुई भी देश एवं समाज हीत में काम करने वाली सेविका सहायिका को केन्द्र जांच, कागज जांच के नाम पर प्रताड़ित किया जाता, यूनियन लगातार केन्द्रों को साधन सम्पन्न करने की मांग करता रहा है, साथ ही सेविका सहायिका को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी का दर्जा देने 24 हजार मानदेय देने सेविकाओं के खराब मोबाइल को बदलने की मांग को भी उठाता रहा है लेकिन सरकार एवं विभाग के उच्च स्तरीय पदाधिकारियों की उदासीनता के कारण सेविका सहायिका तंग हो चुकी है,
मैट्रिक, इंटर, स्नातक पास सेविका सहायिका को सरकार अकुशल मजदूर भी नहीं समझ पा रही और उन्हें न्यूनतम मजदूरी भी देने के लिए तैयार नहीं है इसलिए सेविका सहायिका अपनी फरियाद लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जाने की तैयारी कर रही हैं.
पं चम्पारण के सभी परियोजना कार्यालयों में बैठे कर्मीयो ने अपना एक ढांचा तैयार कर लिया है और उसका इस्तेमाल सेविकाओं के शोषण के लिए कर रहे हैं सेविका सहायिका को जो थोड़ा मानदेय भी मिलता वह भी समय से भुगतान नही होने के कारण अधिकांश सेविका सहायिका को आर्थिक संकट से जुझने के लिए मजबूर कर देता.
यूनियन सभी केन्द्रों पर खाना पकाने के लिए पर्याप्त बर्तन, बच्चों को बैठने के लिए सामग्री, जीर्ण शीर्ण वजन मशीन, मोबाइल, आदि को शीघ्र बदलने की मांग के साथ साथ उपयोग में आने वाले स्टेशनरी के साधनों को उपलब्ध सुनिश्चित करने की मांग करता है.
श्रमिक संगठनों की सहमति के बिना जबरन चार श्रम संहिता लागू करने के विरोध के साथ साथ समाज में नफरत फैलाने वाले राजनीति का भी विरोध यूनियन करता है
कुशल दक्ष एवं योग्यता सम्पन्न सेविका को पर्यवेक्षिका एवं सहायिका को सेविका में प्रमोशन देने की मांग करता है, यदि सेविका सहायिका की मांगों पर सरकार गंभीरता से विचार नहीं करती तो यूनियन को वाध्य होकर उग्र आंदोलन का रास्ता अपनाना होगा.
जिला स्तरीय सेविका सहायिका के धरना को समर्थन करते हुए महिला नेत्री एवं समाजसेवी समीक्षा शर्मा ने कहा कि सरकार को इनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए तथा स्थानीय और विभागीय पदाधिकारियों को इनके प्रति अपना सोच बदल कर सहयोगी के रुप में काम करना चाहिए.
किसान नेता राधामोहन यादव ने सेविका सहायिका के मांग का समर्थन करते हुए कहा कि बहुत सेविका सहायिका छोटे मझोले किसान परिवार से आती है और किसान सभा उनके हर संघर्ष का समर्थन करता है, वही बब्लू दूबे ने धरना को संबोधित करते हुए सेविका सहायिका को सम्मान जनक मानदेय नहीं मिलने को शोषण बताया और कि जब इंसान द्वारा इंसान का शोषण होता तो इस शोषण के खिलाफ संघर्ष क्रांति का रुप धारण करता.
धरना को यूनियन की नेत्री स्नेह लता, जिला महासचिव सुमन वर्मा, पम्मी, गोदावरी, माला, रेणु, सीता, मधुबाला, सरिता, अर्पणा, संगीता, हसीना, ममता, निलम, पुष्पा, श्रीदेवी, आदि ने संबोधित किया
धरना कि अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष सीमा देवी ने की और संचालन अजय वर्मा ने किया.
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