मरचा धान/चूड़ा को जीआई टैग दिलाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में, शीघ्र जीआई टैग मिलने की है संभावना

कोलकाता में दिसंबर माह में आयोजित प्रजेंटेशन प्रोग्राम के उपरांत होगा निर्णय।

पश्चिम चम्पारण जिले के लिए हर्ष की है बात।

मरचा चूड़ा को जीआई टैग दिलाने हेतु की जा रही कार्रवाई की प्रगति की जिलाधिकारी ने की समीक्षा।

बेतिया। जिला प्रशासन द्वारा पश्चिमी चम्पारण जिले के विश्व विख्यात मरचा धान/चूड़ा को जीआई टैग दिलाने हेतु हरसंभव अथक प्रयास लगातार किया जा रहा है। जिलाधिकारी, पश्चिमी चम्पारण, श्री कुंदन कुमार के दिशा-निर्देश के आलोक में अधिकारियों की एक पूरी टीम मरचा धान/चूड़ा को जीआई टैग दिलाने के लिए करीब डेढ़ साल से कार्य कर रही है। यह प्रयास अब अंतिम चरण में है, शीघ्र ही जिले के मरचा धान/चूड़ा को जीआई टैग मिलने की प्रबल संभावना है।

इसी परिप्रेक्ष्य में आज जिलाधिकारी, श्री कुंदन कुमार की अध्यक्षता में एक समीक्षात्मक बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक में उप विकास आयुक्त, श्री अनिल कुमार, अपर समाहर्ता, श्री राजीव कुमार सिंह, श्री अनिल राय, जिला कृषि पदाधिकारी, श्री विजय प्रकाश सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।


समीक्षा के क्रम में बताया गया कि पिछले डेढ़ वर्ष से लगातार किये जा रहे प्रयास के कारण पश्चिम चम्पारण जिले के मरचा धान/चूड़ा को शीघ्र ही जीआई टैग मिलने की प्रबल संभावना है। दिसंबर माह में कोलकाता में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमें जिले के संबंधित अधिकारी एवं कृषकगण भाग लेंगे। इस कार्यक्रम में मरचा धान/चूड़ा पर विस्तृत जानकारियों का आदान-प्रदान होगा। उक्त कार्यक्रम के फलस्वरूप पश्चिम चम्पारण जिले के विश्व विख्यात मरचा धान/चूड़ा को जीआई टैग मिलने की प्रबल संभावना है।

जिलाधिकारी द्वारा इस पर प्रसन्नता व्यक्त की गयी और लगभग डेढ़ साल से लगातार अथक परिश्रम कर रही पूरी टीम की सराहना की। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग की पूरी टीम, कृषकगण, एसडीसी, श्री राजकुमार सिन्हा, डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विद्यालय, पूसा के डॉ0 एन0 के0 सिंह सहित उनकी पूरी टीम ने अत्यंत ही सराहनीय कार्य किया है, जो अब फलीभूत होने वाला है। उन्होंने कहा कि मरचा धान का डीएनए फिंगर प्रिंटिंग ,बायोकेमिकल एनालिसिस आदि कार्यों के सफल निष्पादन में इनकी सराहनीय भूमिका रही है।

उन्होंने कहा कि मरचा धान/चूड़ा का निबंधन (जीआई टैग) हो जाने के बाद मरचा धान के चूड़ा की मांग देश-विदेशों में पूरी की जा सकेगी। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी तथा रोजगार भी वृद्धि होगी।

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