बेतिया (सोनू भारद्वाज) । नाइट ब्लड सर्वे को दो सत्रों में संचालित किया जाना था जिसमें 18 से 22 अक्टूबर तक अस्थाई सत्र एवम 7 से 10 नवंबर तक स्थाई सत्र । इस दौरान कुल 9 हजार 416 रक्त नमूने संग्रह किए गए। गुरुवार को भी चिन्हित प्रखंडों के गांव में रक्त नमूने लिए गये। डीभिबीडीसीओ डॉक्टर हरेंद्र कुमार ने कहा कि प्राप्त रक्त नमूनों को 24 घंटा के अंदर जांच किया जाना था जिसमें रेंडम सत्र पर लिए गए 4 हजार 823 रक्त के नमूनों में 69 लोगों में फाइलेरिया के परजीवी पाए गए। बैरिया प्रखण्ड के तधवानंदपुर गांव में सबसे ज्यादा 24 लोगों में माइक्रो फाइलेरिया पॉजिटिव पाया गया। दूसरे स्थान पर मधुबनी प्रखण्ड के सेमरहवा गांव में 14 पॉजिटिव पाया गया। बचे हुए नमूनों की जांच जारी है।
उत्सवी माहौल के बीच हुआ रक्त संग्रह सिविल सर्जन डॉ बिरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि सभी एनबीएस के सत्रों को उत्सवी माहौल जैसा बनाया गया था। उन्हें बैलून और पंडालों से सुसज्जित किया गया था। अभियान में एसएफडब्लू राजकुमार शर्मा, केयर इंडिया व जनप्रतिनिधि का भरपूर सहयोग मिला। नवंबर के अंतिम सप्ताह में एमडीए कार्यक्रम के होने की संभावना है। फाइलेरिया संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। फाइलेरिया शरीर के कई अंगों में हो सकता है। शरीर के सभी लटकने वाले हिस्सों में फाइलेरिया हो सकता है। जिसमें पैर का सूजन (हाथीपांव), हाथ का सूजन, अंडकोष का सूजन (हाइड्रोसील), महिलाओं के स्तन में सूजन एवं जननांग शामिल हैं। हाइड्रोसील सर्जरी से ठीक हो जाता है। हाथीपांव फाइलेरिया का एक गंभीर लक्षण है। यदि हाथीपांव के शुरुआती लक्षणों को अनदेखा किया जाए तो यह फिर ठीक नहीं होता। इससे बचाव के दो ही रास्ते है। पहला सामूहिक दवा सेवन के दौरान सभी के द्वारा दवा का सेवन करना। वहीं, घर में एवं आस-पास साफ़-सफाई रखें ताकि मच्छर को पनपने से रोका जा सके। फाइलेरिया फ़ैलाने वाले मच्छर गन्दी जगहों पर रहते हैं। किसी भी व्यक्ति को संक्रमण होने पर फाइलेरिया होने में 5 से 15 वर्ष तक का समय लग सकता है।
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