जानें बगहा में मिली विचित्र मछली की विशेषता


पश्चिम चंपारण में मिली दुर्लभ मछ्ली जो अमेजन नदी में पाईं जाती है की ख़बर तो आप ने ज़रूर सुनी होगी, लेकिन सवाल ये है कि यह मछ्ली अमेरिका से पश्चिमी चंपारण कैसे पहुंची? क्या इस मछली का यहां मिलना चिंता का विषय है?  पुरी जानकारी आपके इस पोस्ट में मिलेगी। तो इस आर्टिकल को आखिर तक ज़रूर पढ़ें और आपने दोस्तों को भी शेयर करें। 

कैसे और कहां मिली मछ्ली 

बगहा के बंचहरी के हरहा नदी में एक मछुआरा अशोक साहनी की जाल में एक विचित्र प्रकार की मछली मिली, जो मछुआरे ने पहले कभी नहीं देखा था, इस मछली के चार पंख एवं चार आंखें थे, इसकी चर्चा धीरे-धीरे काफी फैल गई लोगों का भीड़ जमा हो गया और फिर इस पर तरह-तरह की बातें सामने आने लगीं।

मछ्ली की प्रजाति और साइंटिफिक नाम 

हकीकत में यह मछली साउथ अमेरिका के अमेजॉन नदी में पाई जाती है, साधारण तौर पर इसे सकर माउथ कैट फिश (Sucker Mouth Catfish) और वैैज्ञानिक तौर पर इसे Hypostomus  plecostomus कहा जाता है।

यह मछली आमतौर पर नदी में पाए जाने वाले हैं सूक्ष्मजीव जैसे एलगी इत्यादि को खाती है, यह मछली वास्तव में हमारे इकोसिस्टम के लिए खतरा पैदा करने वाली बताई जाती है, VTRKWWFK  एरिया CO-ORDINATOR कमलेश मौर्या, सुब्रत लहरा और BHU के Zoologist ने इसे हमारे इकोसिस्टम के लिए खतरा बताया।

वास्तव में यह मछली साउथ अमेरिका के अमेजॉन नदी में पाई जाती है, भारत के पश्चिम चंपारण में इसका मिलना काफी आश्चर्यजनक है, अमेरिका से पश्चिम चंपारण पहुंचना लोगों में आश्चर्य का विषय बना हुआ है, दो साल पहले भी बनारस के रामनगर के रमना से होकर गुजरने वाली गंगा नदी में यह मछली पाई गई थी।

इसलिए अगर हमारी नदियों में इनका विस्तार होता है तो हमारी नदी की छोटे-छोटे आवश्यक जीव इस की खुराक हो जाएंगी और इससे हमारी नदियों में मछलियों का कम होना इकोसिस्टम के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

यह मछली Aquarium की शोभा होती हैं।

आम तौर पर इस मछ्ली को Aquarium में साज सजावट के लिए रखा जाता है।

हो सकता है कि एक्वेरियम के द्वारा ही यह मछली नाले और नदी में पहुंच गई हो।

नदियों में इनका पाया जाना इनकी तादाद बढ़ने की ओर इशारा कर रहा है अगर इनकी तेजी से बढी तो यह हमारे लिए एक बड़ी चिंता का विषय है इसके कारण हमारी नदी की सभी स्थानीय प्रजाति की मछलियों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ेगा और इनके विलुप्त हो जाने का खतरा काफी बढ़ जाएगा यह एक विशेष शोध की बात है।

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