होम्योपैथी से भी मुमकिन है डेंगू का ईलाज-डॉ घनश्याम

आमतौर पर डेंगू के इलाज के लिए मरीज़ एलोपैथी का सहारा लेते हैं लेकिन होम्योपैथी भी डेंगू के इलाज में बेहद ही कारगर सिद्ध होती है

बेतिया (सोनू भारद्वाज) ।पिछले कुछ सालों से डेंगू सिर्फ़ एक बीमारी नहीं बल्कि एक महामारी के रूप में सामने आई है। हर साल मॉनसून के दौरान और इसके बाद डेंगू का विकराल रूप देखने को मिलता है।डेंगू की बीमारी ठहरे हुए साफ़ पानी में पैदा होने वाले एडीज़ इजिप्टी मच्छर के काटने से होती है। हालांकि डेंगू का इलाज संभव है और हर साल डेंगू के लाखों मरीज़ों को इलाज के ज़रिये स्वस्थ भी किया जाता है। आमतौर पर डेंगू के इलाज के लिए मरीज़ एलोपैथी का सहारा लेते हैं, लेकिन होम्योपैथी भी डेंगू के इलाज में बेहद ही कारगर सिद्ध होती है।जानकारी देते हुए नगर के सविता होमियो क्लीनिक के निदेशक सह होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ घनश्याम ने बताया कि डेंगू में होम्योपैथिक इलाज बेहद ही कारगर है लेकिन ज़्यादातर मामलों में मरीज़ या उसके परिजन ऐलोपैथी पर ही भरोसा जताते हैं। होम्योपैथी पद्धति बेहद ही भरोसेमंद है और इसमें किसी तरह के साइड-इफेक्टस भी नहीं होते। होम्योपैथिक इलाज के दौरान मरीज़ को नियमित दवाओं के साथ-साथ रक्त जांच के ज़रिये प्लेटलेट्स और ल्यूकोसाइट्स काउंट करवाते रहना चाहिए। होम्योपैथिक दवाओं में किसी तरह का साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिलता लिहाज़ा होम्योपैथिक दवाएं डेंगू से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को भी दी जा सकती हैं। डेंगू के इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही जानलेवा सिद्ध हो सकती है इसलिए ये ज़रूरी है कि आप किसी दवा दुकानदार या झोलाछाप से नही बल्कि विशेषज्ञ होम्योपैथिक चिकित्सक से ही अपना इलाज कराएं।

डेंगू के लक्षण

डेंगू की शुरुआत तेज़ बुखार से होता है जिसके साथ पूरे शरीर, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होता है। जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द की वजह से मरीज़ का चलना फिरना मुश्किल हो जाता है। जिसकी वजह से इसे 'हड्डी तोड़ बुखार' भी कहा जाता है। बुखार में आंखें लाल हो जाती हैं और आंखों से लगातार पानी बहता है। इन सबके साथ मरीज़ को उल्टी आना, जी घबराना, भूख नहीं लगना तथा नींद नहीं आना जैसे लक्षण भी झेलने पड़ते हैं। 

मच्छरों से बचाव के उपाय

डॉ घनश्याम ने बताया कि छत या घर के बाहर रखे खुले बर्तनों, पुराने टायर या पानी के गडढ़ों में पानी इक्ट्ठा न होने दें। बाल्टी या किसी बर्तन में भरे हुए पानी को ढ़कें। मच्छर साफ और ठहरे पानी में ही पैदा होते हैं। कूलर के पानी को हर हफ़्ते बदलना चाहिए या उसमें कीटनाशक डालना चाहिए, अगर घर में कीटनाशक न हो तो आप पेट्रोल या मिट्टी का तेल भी डाल सकते हैं। जिससे इस पानी में मच्छर पैदा न हों। घर के कोनों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें और घर में साफ़ सफ़ाई रखें। खिड़कियों में जाली लगाएं जिससे मच्छर खिड़की के ज़रिये घर में दाखिल न हो सकें। रात को सोते वक़्त मच्छरदानी या मॉस्किटो रेपलेंट का इस्तेमाल करें।

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