नफरत के खिलाफ संघर्ष के मैदान में हमारे विचारों में जिन्दा है महात्मा गांधी-विधायक


गांधी जयंती के अवसर पर महाराजा हरेन्द्र किशोर जिला केन्द्रीय पुस्तकालय बेतिया में लोक संघर्ष समिति और राष्ट्र सेवा दल बेतिया द्वारा नफरत छोड़ो - संविधान बचाओं संवाद कार्यक्रम का आयोजन हुआ, इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए भाकपा माले केन्द्रीय कमिटी सदस्य सह सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि माहत्मा गांधी के जीवन का मुल सिध्दांत अहिंसा,धर्म निरपेक्षता, न्याय,जाति अस्पृशयता का उन्मूलन,जमींदारी उन्मूलन, मानवीयता, प्रेम,दया,मानव जाति का एकता,सबका मंगल, शिक्षा,नारी उत्थान था, इसी सिध्दांत को सामने रखकर व्यापक जनता का कल्याणकारी भारतीय राष्ट्र की नींव रखी गईं थी 

लेकिन गांधी को हत्या करने वाली विचारधारा आज सत्ताधारी विचार बन गया है। हमारे चारों ओर दंगाई मानसिकता फैलाई जा रही है, भीड़ हत्या हो रही है, बलात्कारी ऐश कर रहे हैं और बलात्कार पीड़िता जेल में है, सरकार की आलोचना करने पर छात्रों, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों पर देशद्रोह का मुकदमा कर जेल में बंद किया जा रहा है, इस लिए आज हिंदू राष्ट्र की फासिस्ट अभियान का विरोध करने के लिए गांधी के विचारों को अपना कर समाज में बढती नफरत व हिंसा को रोकना होगा तथा हिंदू मुस्लिम एकता के विचार को फैलाना एक महत्वपूर्ण कार्यभार बनाना होगा ।

आगे कहा कि गांधी जी जीवन भर कम्पनी राज और सांप्रदायिक नफरत की राजनीति के खिलाफ लड़ते रहे! जिसके चलते हीं नफरत की राजनीति करने वाले संगठन आर एस एस द्वारा उनकी हत्या कर दी गई, आज नफरत की राजनीति का बढावा देने के लिए पीएफआई जैसे संगठनों पर मोदी सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है, जबकि आर एस एस और बजरंगदल जैसे देश की एकता को अंदर से तोड़ने वाले संगठनों को प्रतिबंधित करने की जरूरत है, आगे कहा की आज देश में नफरत की राजनीति के अंत का संकल्प लेना ही गांधी जी के सपनों के भारत बनाने की दिशा में पहला कदम होगा, लेकिन अपने स्वार्थ में भाड़े के चुनाव प्रबंधकों की टीम कम्पनियों के पैसे से लोकतंत्रिक जनमानस को गुमराह करने के लिए गांधी जी का नाम बेच रहीं हैं, जो देश की आज़ादी की लड़ाई के दिनों में आर एस एस की अंग्रेज परस्त भूमिका की तरह है, नफरत के खिलाफ संघर्ष के मैदान में हमारे विचारों में महात्मा गांधी जिन्दा है ! 

बगहा डिग्री काॅलेज के प्रिंसिपल आरके सिंह, अधिवक्ता राजीव रंजन झा, चांदसी यादव, पंकज जी, अमर जी, शंकर राव आदि लोगों ने भी अपने अपने विचार को रखा और नफरत के खिलाफ आवाज उठाई,

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