डेंगू को ले स्वास्थ्य महकमा मुस्तैद, अस्पतालों में मरीजों के लिए 86 स्पेशल बेड की हुई व्यवस्था

स्वास्थ्य केंद्रों को 500 आरटीडी एंटीजन किट हुए वितरित, जिले में अब तक मिले हैं दस डेंगू मरीज, जिसमें 9 हैं माइग्रेटेड 

बेतिया (सोनू भारद्वाज)। पूरे राज्य में डेंगू का कहर जारी है। इससे जिला भी अछूता नहीं रह गया है। डेंगू के बढ़ते प्रसार को देखते हुए स्वास्थ्य महकमा मुस्तैदी के साथ नियंत्रण करने में जुटा है। अभी तक जिले में कुल दस डेंगू के मरीज पहचान किए गए है। जिसमें नौ मरीज माइग्रेटेड हैं। जो कहीं बाहर से पीड़ित होकर आए है। बढ़ते मरीजों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग जिले के सभी अस्पतालों में कुल 86 स्पेशल डेंगू बेड की व्यवस्था की गई है। ताकि विषम परिस्थिति से निपटने के लिए विभाग हमेशा मुस्तैद रहे। पीड़ित दस मरीजों में से नौ मरीज जिले के बाहर अपना इलाज करा रहे हैं। जबकि  एक स्थानीय मरीज योगापट्टी प्रखंड का रहने वाला है। उसका इलाज जीएमसीएच में चल रहा है। सिविल सर्जन डॉ बीरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि डेंगू का प्रसार अभी राज्य में ज्यादा है। इसे देखते हुए जिले के अस्पतालों में अलग से डेंगू वार्ड की स्थापना की गयी है। जिसमें जीएमसीएच में 30, अनुमंडलीय अस्पताल में 10 तथा प्रत्येक प्रखंडों में दो-दो बेड को डेंगू के लिए रिजर्व रखा गया है। वहीं जिले के जीएमसीएच को 30ए सदर हॉस्पिटल बगहा और नरकटियागंज को 100 तथा प्रत्येक पीएचसी को तत्काल रूप से 15 आरटीडी एंटीजन किट उपलब्ध कराए गए हैं। इसमें एनएस 1 और एनएस 2 दोनों ही तरह के रिपोर्ट आते हैं। इस किट में पॉजिटिव पाए जाने पर उक्त व्यक्ति को संदिग्ध माना जाता है। इसके पश्चात उसका सैंपल एलाइजा टेस्ट के लिए जीएमसीएच भेजा जाता है। जहां उसका माइक्रोबायोलोजिकल टेस्ट होता है।  किट के अलावा सभी स्वास्थ्य केंद्रों में पेरासिटामोल की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता है। 

प्रभावित ब्लॉकों में हो चुका है फॉगिंग

जिला वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल ऑफिसर डॉ हरेंद्र कुमार ने बताया कि डेंगू से प्रभावित छह ब्लॉकों में फॉगिंग किया जा चुका है।  शहरी क्षेत्र में फॉगिंग नगर निकायों द्वारा होती हैए अगर कोई डेंगू पॉजिटिव मरीज शहरी क्षेत्र का हो तो उसके घर के पांच सौ मीटर के दायरे में जिला मलेरिया विभाग फॉगिंग कराता है। वहीं फॉगिंग की मॉनिटरिंग कर रहे भीबीडीएस सुजीत कुमार वर्मा ने बताया कि छह प्रभावित प्रखंडों के अलावा अन्य सभी प्रखंडों में फॉगिंग कराया जा रहा है। 

जुलाई से अक्टूबर तक डेंगू का खतरा ज्यादा-

डॉ हरेंद्र कुमार ने कहा कि डेंगू का प्रसार जुलाई से अक्टूबर तक ज्यादा होता है। मच्छर को मारने से कहीं बेहतर है कि इसके लार्वा को पनपने ही नहीं दिया जाए। अपने आस.पास साफ .सफाई रखी जाए और किसी भी समय अगर सोना हो तो मच्छरदानी का प्रयोग जरूर करें।

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