बेतिया।बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ के महासचिव प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि वर्ष 2022, 23 का गन्ना का सीजन प्रारंभ होने जा रहा है। अभी तक केंद्र सरकार द्वारा गन्ना का दर निर्धारित नहीं किया गया है। जबकि केंद्र सरकार के द्वारा गन्ना का दर निर्धारित होने के बाद बिहार सरकार उसके समर्थन में गन्ना के दाम में वृद्धि करेगी । लेकिन ऐसा अब तक नहीं हुआ है। बिहार एक ऐसा राज्य है जहां गन्ना की खेती राज्य के हर क्षेत्र में होती थी । लेकिन आज बिहार के 28 चीनी मिलों में से अट्ठारह चीनी मिलें बंद पड़े हुए हैं । जब लोकसभा चुनाव 2014 में नरेंद्र मोदी अपने चुनाव प्रचार में मोतिहारी आए थे । तो उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री होने के बाद मैं पुन: मोतिहारी आऊंगा और मोतिहारी चीनी मिल से उत्पादित चीनी का चाय पीयूंगा । यह सब अमित शाह के शब्दों में जुमला निकला । अभी भाजपा नीत सरकार के उद्योग मंत्री के रूप में दिल्ली से एक थके हुए पूर्व मंत्री शाहनवाज हुसैन को उद्योग मंत्री बनाकर बिहार के विकास की बात की गई । दुनिया के और देश के कोने कोने से बड़े उद्योगपति और पूंजीपति बिहार में उद्योग लगाना चाहते हैं । लंबे-लंबे प्रेस सम्मेलन करके अखबारों में बयान दिए गए ।बिहार के उद्योग मंत्री बनने के बाद शाहनवाज हुसैन ने यह कहा कि बंद जो चीनी मिलें हैं । उनकी जमीनों पर हम इथेनॉल का प्लांट लगाएंगे । जो सरासर गलत था और बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ ने इसका कड़ा विरोध किया और कहा कि किसी भी स्थिति में हम बंद चीनी मिलों के जगह पर इथनौल प्लांट नहीं लगने देंगे ।बल्कि 18 चीनी मिलें जो बंद पड़े हुए हैं । बिहार शुगर कारपोरेशन के अधीन हैं । अगर उन 18 चीनी मिलों को चालू कर दिया जाता है, तो दो लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया हो सकता है और साथ ही गन्ना जैसे नकदी फसल जब किसान लगाएंगे तो किसान को भी उसका लाभ मिलेगा ।लेकिन ऐसा नहीं किया गया । आज बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार जी जो महागठबंधन के मुख्यमंत्री हैं । हम कहना चाहते हैं कि आप ही के कार्यकाल में बिहार के 18 चीनी मिलें बंद पड़े हैं और उन चीनी मिलों को आप चालू करेंगे, तो बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार और किसानों को नकदी फसल लगाने से लाभ मिलेगा ।
इसलिए सबसे पहले बिहार के विकास की अगर बात की जाती है । तो चीनी मिलों को चालू करना पड़ेगा ।भारत के पूर्व कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह लगातार मोतिहारी , चकिया चीनी मिल को चालू करने की लंबी चौड़ी बातें करते रहे । लेकिन चीनी मिलों को चालू नहीं कर सके । जब मोतिहारी लोकसभा का सदस्य हिंदुस्तान का कृषि मंत्री बन जाता है और उसके द्वारा चीनी मिलों को चालू नहीं किया जाता है । तो इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है । इसलिए यह बात बहुत साफ है कि केंद्र की मोदी सरकार बिहार के विकास में सबसे बड़ा बाधक है । वह बिहार का विकास नहीं चाहती ।इसलिए बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ एक बार फिर कहना चाहता है कि केंद्र सरकार गन्ना का मूल्य निर्धारित करें और उसके बाद राज्य सरकार द्वारा उसमें वृद्धि करके एक समुचित गन्ना का दर जो 500 प्रति क्विंटल हो, का निर्धारण किया जाए । साथ ही हम यह कहना चाहते हैं कि चीनी मिलो द्वारा बायो प्रोडक्ट के रूप में बिजली, इथेनॉल, खाद, प्स्प्रिट, कागज आदि अन्य चीजें बना रही है । जिसके मुनाफे में ईख उत्पादक किसानों को शामिल कर बायो प्रोडक्ट के रूप में उत्पादित सामानों में जो मुनाफा मिलता है उसका आधा हिस्सा गन्ना उत्पादक किसानों को दिया जाए । साथ ही शुगर केन एक्ट 1966 के अधीन किसानों के बकाए राशि का ब्याज के साथ भुगतान दिया जाय ।
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