आज 26 जून को आइसा इनौस ने मनाया काला दिवस


बेरोजगारों से विश्वासघात व अग्निपथ विरोधी आंदोलनकारियों पर दमन के खिलाफ आइसा इनौस ने काली पट्टी बांधकर जताएं विरोध

आज आपातकाल दिवस, 26 जून को आइसा इनौस के कार्यकर्ताओं ने केन्द्रीय पुस्तकालय बेतिया में बैठकर *काला दिवस* के रूप में मनाएं. वही बेरोजगारों से विश्वासघात व अग्निपथ विरोधी आंदोलनकारियों पर दमन के खिलाफ काली पट्टी बांधकर विरोध जताएं. 

आइसा- इनौस नेताओं ने कहा कि अनुच्छेद 352 को 25 जून 1975 को आधी रात को घोषणा के माध्यम से लोकतंत्र को नियंत्रित करने के लिए किया गया था तब इसे आंतरिक आपातकाल कहा गया था, मगर आज इसे न्यू नॉर्मल कहा जा रहा है यानि मोदी सरकार द्वारा थोपी गयी अघोषित आपातकाल को "अच्छे दिन" आज इसे न्यू नॉर्मल कहां जा रहा है, संवैधानिक संस्थाओं सहित तमाम लोकतंत्रिक अधिकारों पर बुलडोजर चलाना,यानी बुलडोजर शासन का प्रतीक बन गया है, 

 लोकतंत्र को स्थाई रूप से निपटाने के लिए जहां संख्या( विधायकों) खरीदी जा रहीं है, सरकारों को गिरा दिया जा रहा है, संवैधानिक संस्थाओं को बुलडोज किया जा रहा है और मनमर्जी से सहमति निर्मित किया जा रहा है, 

यदि तब आपातकाल का मतलब विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी था तो आज हमारे पास मानवअधिकार कार्यकर्ताओं के लिए अनिश्चितकालीन नजरबंदी है, विपक्षी नेताओं पर बार-बार ईडी और सीबीआई के छापे हैं, जबकि विपक्षी दल के विधायकों को समय-समय पर नियंत्रित करने के लिए प्रेशर की राजनीति किया जा रहा है, विपक्षी पार्टी के सरकार को गिरा देने के लिए एक बड़ा रकेट है, आपातकाल तो प्रेस सेंसरशिप के बारे में था तो आज हमारे पास आत्मनिर्भर आत्म सेंसरशिप है, क्योंकि प्रमुख मीडिया कायापलट मीडिया के रूप में अपनी भूमिका लेकर आधिकारिक स्टेनोग्राफर के रूप में शासन के बुलडोजर बैलेंस की धुनों पर नाचने वाले ऐंकर हैं 

 आपातकाल तब नागरिकों के अधिकारों को हटाने के लिए राज्य एक खतरनाक स्थिति में था तो आज यह समाज में एक स्थाई ध्रुवीकरण किया जा रहा है, अल्पसंख्यकों, असंतोषित आवाजें और विरोध आंदोलन को न केवल दमनकारी पराक्रम और राज्यों के उत्पीड़न किया जा रहा है, बल्कि प्रमुख हिंसा और लगतार हमले से अतिरिक्त शक्ति प्राप्त कर रहे हैं,

इस लिए हम धीरे धीरे खतरनाक मोदी- शाह के तानाशाही के चंगुल में फसते जा रहे हैं, इस अघोषित आपातकाल से निकलने के लिए हम सब को मिलकर लडना पडेगा, इस मौके पर सुरेन्द्र चौधरी, फरहान राजा, धर्मेन्द्र कुमार, अफाक आलम

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