138 महाविद्यालयों को अवधि विस्तार के साथ- नामांकन लेने की अनुमति प्रदान की जाए अन्यथा बाध्य होकर हमारी पार्टी सरकार के इस नीति के खिलाफ सड़कों पर उतरने का काम करेंगे : प्रो परवेज

बेतिया | OFSS राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सह जिला अध्यक्ष प्रो परवेज आलम ने बिहार सरकार पर वित्तरहित शिक्षकों एवं वित्त रहित संस्थानो के खिलाफ अड़ियल रवैया अपनाने एवं उनके अस्तित्व को समाप्त करने का आरोप लगाया है । ज्ञात हो कि बिहार परीक्षा समिति ने बिहार के अनुदानित 599 इंटर कॉलेज की मान्यता रद्द करने की घोषणा कर विज्ञप्ति संख्या 160/2020 एवं विभागीय संकल्प संख्या 427 दिनांक 4/7/2020के द्वारा महाविद्यालयों को निर्देश दिया कि वे ₹15000 निरक्षण शुल्क जमा करें ताकि उनके महाविद्यालय की स्थलीय निरीक्षण कराई जाए और जांच उपरांत सही पाने पर उन्हें पुनः मान्यता दी जाएगी और समय सीमा दिसंबर 2020 तक निर्धारित की। ज्ञात हो कि सरकार द्वारा 2008 में वित्त रहित समाप्ति की घोषणा की गई थी और उन्हें अनुदान देने की रूपरेखा तैयार हुई परंतु यह अनुदान उन्हीं को दिया जाएगा जो जांच में सही पाए जाएंगे उसके बाद विभिन्न एजेंसियों द्वारा इन महाविद्यालयों का निरीक्षण हुआ जो सही कॉलेज पाए गए उन्हीं को अनुदान 2011 से 2015 तक मिला यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि 2015 के बाद किसी भी महाविद्यालय को अनुदान सरकार द्वारा नहीं दी गई है जो हजारों करोड़ रुपए बाकी है और सरकार की मंशा उनके अनुदान को हड़पना है जब इन महाविद्यालयों को जांच में सही पाया गया था तो उनकी मान्यता को क्यों समाप्त किया गया इधर कई महाविद्यालय सरकार के इस निर्देश के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया है जिन महाविद्यालयों ने निरीक्षण शुल्क जमा भी कर दिया था उनका भी निरीक्षण सरकार नहीं करा सकी चुकी 22/24सत्र के लिए नामांकन प्रारंभ होने जा रहा है और यह सरकार की विफलता हैकी वह जांच भी पूरी नहीं करा सकी और अंततः सरकार के कैबिनेट से यह फैसला हुआ है की जांच अवधी को विस्तार कर 31 दिसंबर 2022 की जाती है इस बीच सभी महाविद्यालयों को पूर्व की भांति नामांकन की छूट दी जाती है लेकिन सरकार के निर्णय भेदभाव पूर्ण है 461 महाविद्यालयों ने 31 दिसंबर 2021 तक निरीक्षण शुल्क जमा किया उन्हीं को लाभ दिया गया है परंतु बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के निदेशक ने 30 दिसंबर के बाद जनवरी 2022 में पुन रिमाइंडर कर राशि जमा करने का अनुरोध किया उसके बाद बहुत महाविद्यालय ने भी राशि शुल्क जमा कर दिया परंतु ऐसे 138 महाविद्यालयों को नामांकन लेने से वंचित कर दिया गया है जो सही है जब आप अवधि विस्तार कर रहे हैं यह नियम सभी पर लागू होना चाहिए और जिन महाविद्यालयों ने राशि जमा कर दिया है और उसकी जांच सरकार के पत्र के आलोक में प्रारंभ हो चुकी है उन्हे भी नामांकन लेने से मना करना कहां का न्याय है बिहार में कुल 138 ऐसी कॉलेज है जिन्हें वंचित किया गया है । और यह सभी वैसे संस्थान है 40 वर्षों से बिहार के 60% से अधिक छात्रों को शिक्षित करने का कार्य करते रहे हैं ऐसे महाविद्यालयों के कर्मियों के सामने भारी संकट आ गया है क्योंकि इनपर अब दोहरा मार पड़ रहा है एक तरफ सरकार अनुदान नहीं दे रही है दूसरी तरफ इसी नामांकन के आय से आंतरिक भुगतान होता है जिससे उनका जीवन यापन चलता है सरकार के इस अड़ियल रवैया से हजारों परिवार भुखमरी के कगार पर खड़े हैं हमारी पार्टी एनसीपी बिहार के मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री से मांग करती है अवधि विस्तार का लाभ 138 महाविद्यालयों को की दिया जाए और उन्हें नामांकन लेने की अनुमति प्रदान की जाए अन्यथा बाध्य होकर हमारी पार्टी सरकार के इस नीति के खिलाफ सड़कों पर उतरने का काम करेंगे।

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