बलथर कांड पर पुलिस ने नहीं लिया संज्ञान, लेकिन मृतक की पत्नी सुशीला देवी के दायर परिवाद की सुनवाई पर न्यायालय ने लिया संज्ञान
बीडीओ, सीओ,थानाध्यक्ष अजय कुमार चौधरी समेत 15 पर एफआईआर दर्ज कराने का कोट ने दिया आदेश
बेतिया | होली के दिन बलथर थाना क्षेत्र के आर्य नगर में 2:00 बजे दिन में एक निर्दोष व्यक्ति अनिरुद्ध यादव को बीडीओ और सीओ की नासमझी के कारण थाने को फोन की जाती है और पुलिस को बुलाई जाती है और डीजे बजाते हुए अनिरुद्ध यादव को पुलिस पकड़ कर ले जाती है और पुलिस कस्टडी में उसकी मौत हो जाती है और पुलिस इसे मधुमक्खियों के काटने से मौत होने की पुष्टि करती है वही अनिरुद्ध की मौत पर भड़के ग्रामीण के आक्रोश के शिकार एक हवलदार भी हो जाते हैं और उनकी भी मौत हो जाती है तथा कई पुलिसकर्मी घायल हो जाते हैं, जहां इस घटना में ग्रामीण मधुमक्खी से काटने की अनिरुद्ध यादव की मौत को गलत बताते हैं, तथा इसे पुलिस दबंगई करने का आरोप लगाते हुए इस सारे घटना का जिम्मेदार स्थानीय बीडीओ और सीओ को बताते हैं, वहीं पुलिस स्थानीय बीडीओ और सीओ को बचाते हुए निर्दोष कई ग्रामीणों के ऊपर प्राथमिकी दर्ज कर देती है और बेचारे पूरे गांव वाले पुलिस की डर से घर छोड़कर फरार हो जाते हैं परंतु इस घटना को देखा जाए तो प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचलाधिकारी की नासमझी के कारण ऐसी बड़ी घटना घट जाती है,क्योंकि ग्रामीणों का आरोप है कि अनिरुद्ध यादव होली के दिन डीजे बजाने लाया था, चालू नही किया था उसी बीच प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी की गाड़ी आती है और उसे अरेस्ट करा थाने ले जाती है, परंतु उन्हें पुलिस बचा देती है लेकिन मृतक अनिरुद्ध की पत्नी सुशीला देवी सीजेएम के न्यायालय में एक परिवाद वाद दायर करती है जिसमें स्थानीय वीडियो एवं अंचलाधिकारी थानाध्यक्ष बलथर समेत 15 पुलिसकर्मियों को आरोपी करते हुए प्राथमिकी दर्ज करने के लिए गुहार लगाती है और अंततः न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए सभी 15 दोषियों के ऊपर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देता है आखिरकार पुलिस ने तो अपने जात बिरादरी वाले को बचाने का भरपूर प्रयास करने का मामला न्यायालय के संज्ञान में आता है,जहां न्यायालय के कटघरे से बचना शायद अब मुश्किल साबित हो रहा है , जहां दूसरी तरफ देखा जाय तो कई अन्य थानों के कांड संख्या में भी पुलिस द्वारा लापरवाही देखने को मिल रही है व बरती गई है, जिसका जीता जागता एक उदाहरण महिला कांड संख्या 32 / 21 है जिसमें निर्दोष रविकांत को महिला थाना के दरोगा सुधा कुमारी अनुसंधान में पूरी अनियमितता की गई है, जिसको लेकर सूत्र बताते हैं कि उनके ऊपर भी न्यायालय ने संज्ञान लिया है लेकिन सुधा कुमारी अपनी आदत से बाज नहीं आ रही।
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