भाकपा माले ने मनाया 53 वी स्थापना दिवस

भारतीय क्रांति के तमाम शहीदों को एक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई

बेतिया | भाकपा माले ने लेनिन की 152वीं जयंती और पार्टी के 53 वीं वर्षगाठ पर पार्टी कार्यालयों जैसे हरीबाटीका चौक स्थित जिला कार्यालय, बेतिया ग्रामीण कार्यालय शेखवना, चनपटिया पार्टी कार्यालय पर क्रमशः रामप्रसाद महलों सुनील यादव, हिरा साह ने झंडा फहराया और दिवंगत नेताओं और शहीदों को श्रद्धांजलि दिया गया, मोदी सरकार एक तरफ तो ईंधन, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में लगातार भारी बढ़ोतरी करके आम लोगों पर आर्थिक युद्ध तेज कर दिया है, साथ ही नफरत और भय का माहौल बनाकर और हिंसा भड़काकर लोगों का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण भी कर रही है. उक्त बात भाकपा माले राज्य कमिटी सदस्य सुनील यादव ने कहीं, आगे उन्होंने कहा की मोदी सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त- निजीकरण की नीतियों के खिलाफ फिर से उठ रहे मजदूर और किसानों के नए आन्दोलन को भी हर स्तर पर मजबूत बनाते हुए रोज़गार के मसले पर व्यापक जन अभियान तेज़ तेज किया जाएगा ।   

इंकलाबी नौजवान सभा जिला अध्यक्ष फरहान राजा ने कहा कि आज सांप्रदायिक फासीवादी ताकतें जो देश की आजादी में अंग्रेजी राज के साथ खड़े थे वहीं ताकतें हमारे संघर्ष के विरासत को भी हड़पने में लगी हैं । ऐसे में हमें भाकपा माले को और मजबूत करना होगा ताकि देश की आजादी, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र बचा रह सके। माले नेता रविन्द्र रवि ने कहा कि पिछले दो साल कोविड-19 महामारी और इससे निपटने के नाम पर राज्य द्वारा लागू किए गए निर्मम लॉकडाउन के साए में रहे. इसके बावजूद, भारत की आम जनता और हमारी पार्टी ने कई बुनियादी मांगों और अधिकारों के लिए सफलतापूर्वक संघर्ष किये हैं. ऐतिहासिक किसान आंदोलन ने मोदी सरकार को कॉरपोरेट-हितों को साधने के लिए लाए गए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए मजबूर किया है. माले नेता योगेन्द्र यादव, ठाकुर पटेल आदि ने कहा की स्वतंत्रता, न्याय और लोकतंत्र की लड़ाई को तेज करके उस विरासत को आगे बढ़ाने और भारत को फासीवादी चंगुल से मुक्त कराने की जिम्मेदारी अब हम पर है. इसके लिए मई माह तक पार्टी का उम्मीदवार सदस्य और खेत व ग्रामीण मजदूर सभा और किसान महासभा का सदस्यता का अभियान चलाने के संकल्प को दुहराया, इस अवसर पर डा. अफजल आलम, भरत ठाकुर, एकबाल यादव, बजा प्रसाद, देवकी राम, मनोज राम, जाकिर हुसैन, आरिफ़ हुसैन, आदि नेताओं ने भी अपने विचार रखा.

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