निजीकरण के विरोध के साथ साथ 23 सूत्री मांगों को लेकर डाक कर्मियों ने दूसरे दिन पोस्ट ऑफिस में ताला बन्दी कर धरने पर बैठे रहे। अखिल भारतीय डाक कर्मचारी संघ के बैनर तले सभी ग्रुप के कर्मी दूसरे दिन भी सरकार के विरोध में नारेबाजी करते हुए हड़ताल पर बैठे रहे।डाक कर्मी संघ के सचिव प्रदीप कुमार ने बताया कि केंद्र की सरकार कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। सरकार हम कर्मियों को बंधुवा मजदूरी के तरफ ढकेल रही है।
सरकारी संसाधनों के अभाव के बावजूद भी हम कर्मी पूरी ईमानदारी के साथ अपनी ड्यूटी करते हैं। उसके बावजूद भी हम कर्मियों का तथा हमारे परिवारों का भविष्य सुरक्षित नही है। उन्होंने बताया कि हमारी मांगो में निजीकरण की प्रकिर्या बंद हो, 18 महीने से बकाया डीए का भुगतान किया जाए, ग्रामीण डाक कर्मियों की सेवा नियमित की जाय, संसाधनों को पूरा करने के साथ साथ अन्य मांगे शामिल हैं।उन्होंने बताया कि जिले में 23 सब डाक घर हैं। जिनमे संसाधनों का घोर अभाव है। इसके साथ ही ग्रामीण डाकघरों की संख्या 253 हैं।जिनमे लगभग 750 से 800 कर्मी कार्यरत्त हैं। जो सभी अस्थाई कर्मी कहलाते हैं। इनकी भी सेवा भी सरकारी सेवक के बराबर होती तो है परंतु इनको अवकास प्राप्ति के बाद सरकार के तरफ से कुछ भी नही मिलता है। जिसके कारण इनके परिवारो के हालात अच्छे नही होते हैं।सेवा अवधि में अगर इनकी मृत्यु हो जाती है तब भी इनको अनुकम्पा का लाभ भी नही मिल पाता है। इसके साथ ही कोई बजी मदद सरकार द्वारा नही मिलती है। ट्रेड यूनियन के आह्वान पर हम लोगो ने हड़ताल किया है। जिसमे इन कर्मियों को सरकारी कर्मी का दर्जा देने की भी मांग की गई है।
डाक कर्मियों को पांच फीसदी ही मिल पाता है अनुकम्पा का लाभ
ट्रेड यूनियन के आह्वान पर देश के बैंक कर्मी और डाक कर्मी निजीकरण के साथ साथ अन्य मांगों को लेकर दूसरे दिन भी प्रधान डाक घर मे ताला बन्दी कर धरने पर बैठे रहे।हड़ताल कर्मियों ने सरकार विरोधी नारे लगाते हुए मांगे पूरी नही होने के स्थिति में चरणबद्ध आंदोलन करने की चेतावनी भी दे रहे थे।
डाक कर्मी संघ के सचिव प्रदीप कुमार ने बताया कि हम कर्मियों की दशा बंधुवा मजदूर के समान हो गई है। कार्यालय आने का तो समय निश्चित है परंतु जाने का कोई समय निश्चित नही है। इसके साथ ही हम कर्मी अपने परिवार को सुरक्षित नही रख पास रहे हैं।सरकार की मनसा है कि हम कर्मी सिर्फ बंधुवा मजदूरी करते रहे।हमारे बच्चे अच्छे स्कूलों में नही पढ पाए। हमलोग अपने अधिकारों के लिये अपनी जुबान को बंद रखे। ये ताना साही सरकार कर्मियों को उधोगपतियों की गुलामी करने पर विवश कर रही है। हम कर्मियों को अनुकम्पा का मात्र पांच फीसदी ही लाभ सरकार द्वारा मिल पाता है।उन्होंने बताया कि अगर एक सौ कर्मियों में से मात्र पांच कर्मी को ही अनुकम्पा का लाभ मिलता है। बाकी के कर्मियों के परिवार भगवान भरोशे ही रहता है।कर्मियों को मृत्यु के उपरांत भी कोई लाभ नही मिलता है। जो घोर अन्याय है। अगर सरकार हमारी मांगों को नही मानेगी तो कर्मी बाध्य हो कर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करने को विवश होंगे।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें