नीतीश सरकार में नए उद्योग-धंधे लगे नहीं, पुराने की स्थिति खस्ताहाल : विधायक

बिमार कुमार बाग स्टील प्रोसेसिंग यूनिट को लेकर भाकपा माले विधायक ने सरकार को घेरा


बेतिया | बिहार का पहला और एक मात्र कुमार बाग स्टील प्रोसेसिंग यूनिट है जो अपने जन्मकाल से ही बिमार चल रहा है, उपरोक्त यूनिट को सुचारू रूप से चलने की मांग करते हुए भाकपा माले सिकटा विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने विधानसभा में सवाल उठाया, सरकार से पुछा की क्या यह बात सही है कि बिहार से झारखंड की अलग होने के बाद बिहार का पहला स्टील प्रोसेसिंग यूनिट पश्चिम चंपारण में कुमार बाग स्थापित किया गया था जिसमें 20 हजार टन से 50 हजार टन तक प्रति वर्ष स्टील शीट एवं पाईप का उत्पादन होना था.

दूसरा सवाल कि क्या यह बात भी सही है की 50 एकड़ जमीन में फैले और सैकड़ों करोड़ की लागत से बने उक्त कुमारबाग स्टील प्रोसेसिंग यूनिट कभी भी ठीक से नहीं चली और आज उसमें स्टील शीट का उत्पादन बंद है तथा पाइप का उत्पादन मात्र 600 टन प्रति वर्ष हो रहा है, यदि उपयुक्त खंडों के उत्तर स्वीकारत्मक है तो क्या सरकार कुमारबाग स्टील प्रोसेसिंग यूनिट की पूरी क्षमता के अनुसार उत्पादन की व्यवस्था के लिए पहल करने का विचार रखती है हां तो कब तक नहीं तो क्यों नहीं? लेकिन सरकार ने पहले सवाल का तो स्वीकार करती है मगर दूसरे सवाल का उत्तर देते समय सच्चाई से मुंह छुपाते हुए झूठ जबाब देते हुए कहती है कि वर्तमान में पश्चिमी चंपारण में कुमारबाग स्टील यूनिट कार्यरत है,जो सफेद झूठ है, दिया झूठ की स्टील शीट के उत्पादन से संबंधित मशीनरी स्थापित नहीं रहने के कारण सिर्फ पाइप का उत्पादन किया जा रहा है, विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि सरकार की दलीलें मान भी ले तभी सवाल उठता है कि क्या सरकार को यह कहते हुए शर्म नहीं आती है कि 12 साल बाद भी स्टील शीट के उत्पादन से संबंधित मशीनरी स्थापित नहीं है, जबकि कामगारों का कहना है मशीन तो है मटेरियल नहीं है ( पुजीं नहीं है) के कारण उत्पादन बंद है.

भाकपा माले विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि सरकार के इस जबाब को सही भी मान लिया जाए कि सीट उत्पादन के लिए मशीन नहीं है तो सरकार को कायदे से जबाब यह देना चाहिए कि अमुक तारीख तक मशीन लगाने और क्षमता के अपरूप उत्पादन की योजना है, और मौजूदा बजट में इतना राशि का आवंटन किया गया है, सरकार द्वारा दिया गया जबाब से चम्पारण सहित बिहार को कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है, 

माले विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि एक समय था जब देश में 40 प्रतिशत चीनी का उत्पादन बिहार में होता था. दरभंगा की सकरी, लोहट व रैयाम चीनी मिल, पूर्णिया की बनमनखी चीनी मिल, सिवान की एसकेजी शुगर मिल, समस्तीपुर की हसनपुर चीनी मिल, मुजफ्फरपुर की मोतीपुर चीनी मिल,पश्चिम चम्पारण का चनपटिया,पूर्वी चंपारण की लौरिया, नवादा की वारसिलीगंज, गोपालगंज की हथुआ व वैशाली की गोरौल व गया की गुरारू चीनी मिल जैसी कई अन्य ऐसी चीनी मिलें थीं, जो एक-एक बंद हो गईं. और एक भी नये उधोग नहीं लगे,

विधायक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 2020 में एक चुनावी सभा में दिया गया भाषण को याद दिलातें हुए कहा कि नीतीश कुमार ने कहा था की जो राज्य समुद्र के किनारे हैं, वहीं बड़े उद्योग लग पाते हैं. विधायक ने कहा कि यह सही है कि चारों ओर से जमीन से घिरा होने के कारण बिहार को समुद्री लॉजिस्टिक का लाभ नहीं मिलता, लेकिन बिहार ने भी मालवहन को आसान बनाने के लिए रेल और सड़क मार्ग की सुविधाओं का पर्याप्त इस्तेमाल नहीं किया है. सरकार की आलोचना करते हुए वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य भी समुद्र से नहीं घिरे हैं, फिर भी बिहार के लाखों कामगार तो हर साल रोजी-रोटी के लिए इन्हीं राज्यों में पलायन करते हैं. विधायक ने कहा कि नीतीश सरकार बिहार विकास के एजेण्डा से हट चुकीं हैं , भाजपा के विनाशकारी एजेण्डा को लागू करने में व्यस्त है.

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