प्राचार्य कुलपति कुलसचिव समेत ग्यारह लोगों पर 25 करोड रुपये घोटाले मे प्राथमिकी हुई दर्ज

बगहा। बगहा अनुमंडल के पंड़ित उमाशंकर तिवारी महिला महाविद्यालय बगहा (बनकटवा) पश्चिम चम्पारण में 25 करोड़ रुपया गबन करने के मामले में प्राचार्य, कुलपति, कुलसचिव समेत 11 व्यक्ति पर व्यवहार न्यायालय के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी बगहा, पश्चिम चंपारण के आदेश पर बगहा नगर थाना ने प्राथमिकी दर्ज कर लिया है। व्यवहार न्यायलय सुत्रों के अनुसार पीड़ित प्रो. अरविन्द नाथ तिवारी ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी बगहा, के यहां परिवाद संख्या 593/ 2021 दिनांक 5:10 2021 को दाखिल किया था।इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने चार महीना तक आॅर्डर में रखकर विगत 28 फरवरी को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश बगहा नगर थाना को दे दिया था। बगहा थानाध्यक्ष ने बताया है कि 9मार्च को प्राचार्य समेत कुल ग्यारह लोगों पर कांड़ संख्या 156/22 दर्ज किया गया है।परिवाद संख्या593/2021 में प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार तिवारी पिता स्वर्गीय परशुराम तिवारी एवं अन्य में राम निरंजन पांडे, अध्यक्ष शासी निकाय,प्रो. डॉ राजीव कुमार पांडे, विश्वविद्यालय प्रतिनिधि, प्रोफ़ेसर चंद्रभूषण मिश्रा, बर्सर, प्रोफेसर श्यामसुंदर दुबे, शिक्षक प्रतिनिधि, उमेश यादव, लेखापाल, नर्मदेश्वर उपाध्याय, प्रधान लिपिक, डॉक्टर हनुमान प्रसाद पांडे, कुलपति बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, डॉ रामकृष्ण ठाकुर, कुलसचिव, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, डॉक्टर रामनारायण मंडल, तत्कालिन प्रभारी कुलपति को आरोपी बनाया गया है। जिनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थानाध्यक्ष बगहा को आदेश विगत 28 फरवरी को दिया है। 

क्या है मामला

जानकारी हो कि प्रोफेसर अरविंद नाथ तिवारी विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग अपने एवं अन्य शिक्षक शाक्षकेत्तर कर्मचारियों के पारिश्रमिक नहीं मिलने एवं अभियुक्तों द्वारा बंदरबांट करने, विश्वविद्यालय प्रशासन के पास न्याय के लिए गुहार लगाने और विश्वविद्यालय प्रशासन से न्याय नहीं मिलने पर उक्त न्यायालय में परिवाद दर्ज कराया। परिवाद पत्र के बिंदुओं पर न्यायालय ने 4 महीना तक समीक्षा के बाद प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश बगहा थानाध्यक्ष को दिया है।

रूपया का बंदरबाट करना

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री बिहार सरकार द्वारा उक्त कालेज को सहायक अनुदान की राशि लगभग 20 करोड़ रूपया की राशि शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारियों को वेतन मद में वितरण करने लिए सत्र 2008 से लेकर 2013 तक और यूजीसी द्वारा कॉलेज के विकास मद में विभिन्न भवनों के निर्माण कराने के लिए लगभग 5 करोड़ की राशि मुहैया कराया, परंतु अभियुक्तों द्वारा उक्त राशि का बंदरबांट करते हुए शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारियों को प्रताड़ित और निष्कासन करता रहा। प्रचार्य और प्रबन्धन के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की जांच जब तत्कालिन बगहा एसडीएम अनिमेष पराशर, एसडीएम विशाल राज और तत्कालीन जिलाधिकारी पश्चिम चम्पारण निलेश चन्द्र देवरे ने किया, तो भ्रष्टाचार मे पाये जाने पर प्राचार्य और प्रबन्धन पर कार्रवाई के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन और राज्यपाल को पत्रक लिखा।पदाधिकारियों के रिपोर्ट पर महामहिम और मुख्यमंत्री के तरफ से अनेको आदेश विश्वविद्यालय के कुलपति और सचिव को अनेकों आदेश जारी किये गये, परन्तु कुलपति और कुलसचिव द्वारा कारवाई शिथिल रखकर प्राचार्य, शासी निकाय के अध्यक्ष और सचिव को बचाते रहें । अंततोगत्वा विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रबंधन के विरुद्ध न्यायालय के शरण में प्रतिवादी प्रो. अरविन्द नाथ तिवारी एवं अन्य को न्यायलय के शरण में जाना पड़ा है।

पीड़ित - प्रो. अरविंद नाथ तिवारी, प्रो. भागीरथ चौधरी, प्रो हरिशंकर सिंह, प्रो, ब्रजकिशोर श्रीवास्तव, प्रो. आभा चौधरी, गृह विज्ञान सहायक डेजी मिश्रा,आदेशपाल शहनाज खातून संगीता देवी, जैतून खातून अन्य का कहना है कि बिहार सरकार द्वारा दी गयी सहायक अनुदान राशि सत्र2008 से 2013 तक लगभग 20 करोड़ और यूजीसी द्वारा लगभग 5 करोड़ रुपया कालेज के विकास मद में दिये गये राशि का बंदरबाट किया गया है। दोनों में बिहार सरकार और यूजीसी के गाइड लाइन फाॅलो नहीं करके मनमाने ढंग से अनुदान राशि का वितरण मनमाने ढंग से भवन का निर्माण करने का आरोप, जिसकी जांच एसडीएम डीएम डीओ विश्वविद्यालय टीम ने किया तो सत्य पाया जिस पर विश्वविद्यालय प्रशासन को कारवाई के लिए सीएम गवर्नर तक का आदेश शिथिल पड़ गया। विश्वविद्यालय प्रशासन अब तक प्राचार्य को बचाता रहा।

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