Russia-Ukraine War: यूक्रेन में फंसा बेतिया का छात्र || आदित्य से आज हुई बात!

आदित्य कुमार

बारूद और बमों की बारिश के दरमियान हजारों भारतीय जल्द से जल्द सही सलामत यूक्रेन से निकलने की कोशिश में लगे हुए हैं यूक्रेन के इलाके में जहां रूस बम बरसा रहा है न कोई ज़मीनी रास्ता है, ना आसमानी रास्ता, जब तक के वार पूरी तरह खत्म नहीं होता और यूएन पीस आर्मी वहां नहीं पहुंचती तब तक दुनिया के किसी भी दूसरे जहाज या लोगों के जाना और फिर किसी को बचाकर बाहर निकालना असंभव है, उसके घर के अगल-बगल के इलाके में जो लोग भी हैं वह सलामत हैं उन्हें अपने दूतावास तक पहुंचने के बाद निकलना संभव सा होता जा रहा हैै।

भारत वासियों के लिए भारत सरकार हर संभव प्रयास में लगी हुई है, द हिंदू के रिपोर्ट अनुसार यूक्रेन में भारत के करीब 18000 लोग जिनमें से अधिकतर छात्र है वहां फंसे हुए हैं, कल तक लगभग इंडियन एयरलाइंस से 219 भारतीय छात्रों को लेकर अपने देश वापस लाया जा चुका है, यह बड़ी खुशी की बात है और बाकी लोगों के लिए हर संभव प्रयास जारी हैं।

यूक्रेन में फंसे हैं बेतिया के छात्र

बगहा के सुधाकर, मझौलिया के प्रिंस कुमार, जो हमारे पश्चिम चंपारण के हैं, से उनके घर वालों ने उनकी खैरियत फोन पर जानी है और पत्रकारों को बताया है।

वीडियो कॉल पर बात करते आदित्य

हमारे शहर बेतिया के लाल बाजार निवासी अरुण कुमार के पुत्र आदित्य कुमार जो जंगी इलाके से थोड़ी दूर है से उनके पिता की बातचीत फोन पर हुई है उन्होंने हमारे संवाददाता को अपनी बातचीत शेयर की और "आदित्य ने बताया कि उसकी बिल्डिंग के चारों ओर बड़ी बड़ी बिल्डिंग हैं जहां हर लम्हा लंबी सायरन की आवाज है और मिसाइलों बमों के धमाके सुने जा रहे हैं वह भारतीय दूतावास के संपर्क में है, जिन लोगों ने उसे घर से बाहर नहीं निकलने और अपने आप को हर तरह से सुरक्षित रहने की सलाह दी है, आदित्य ने बताया कि खाने की सामानों की दुकानों में काफी कमी हो गई है एटीएम से पैसे निकालने के लिए दिन में काफी लंबी लाइनें लगी रहती है सामानों की कीमतें दोगुनी हो चुकी है"। 

आदित्य ने कल ही खाने के लिए एक पैकेट आटा, चार पैकेट चावल, कुछ दूध के पैकेट और कुछ बिस्कुट खाने के लिए काफी महंगे दामों पर खरीदी है।

वे और उनके साथी भारतीय दूतावास से बराबर संपर्क में है उम्मीद है वह जल्द ही पास के भारतीय दूतावास के लिए रवाना हो जाएगा और फिर वहां से अपने देश और घर आ सकेगा।

आदित्य ने आज बताया कि वह भारतीय दूतावास के लिए बस में बैठ कर निकल चुका है इंटरनेट की खराबी के कारण आगे बात ना हो सकी।

पापा और मम्मी ने अपनी नम आंखों के साथ संवाददाता को आदित्य कुमार द्वारा कही गई बातें सुनाई।

आदित्य के पिता अरुण कुमार

भारत सरकार पहले ही दिन से अपने लोगों के लिए कोशिश करती जा रही है धीरे धीरे भारतीयों को लाने में कामयाबी मिल रही है और हमारे लोग अपने देश को वापिस आ रहे हैं।

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