चोर हो तो गलगर हो :

बिहार राज्य किसान सभा के संयुक्त सचिव प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोक सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुए बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री की गरिमा , मर्यादाओं की परवाह किए बगैर संसद में झूठ पर झूठ बोलने का भी दुनिया का रिकार्ड तोड़ दिया । 

प्रधानमंत्री ने छोटे किसानों के लिए बजट देने की बात कही । जो कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों के गले नहीं उतरने को कहा । आखिर छोटे किसानों के लिए बजट में है क्या ?

मत कहो आकाश में कोहरा घना है यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है.

पिछले एक साल से ज्यादा दिनों से दिल्ली बॉर्डर सहित पूरे देश में चल रहे किसान विरोधी तीन काले कानूनों की वापसी के लिए चल रहे किसान आंदोलन की समाप्ति के लिए टी वी पर आकर आनन फानन में तीनों काले कानूनों की वापसी की घोषणा कर दी । किसानों से माफी मांगी और एम एस पी सहित बचे सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन देकर आंदोलन समाप्त करने का आग्रह किया । संयुक्त किसान मोर्चा ने उनपर भरोसा जताया और आंदोलन को स्थगित कर घर वापसी का ऐलान किया । सभी किसान घर चले गए । लेकिन तय सीमा के अन्दर कोई कारवाई नहीं होने की स्थिति में संयुक्त किसान मोर्चा ने बजट पेश होने के एक दिन पूर्व 31 जनवरी को देश भर में विश्वासघात दिवस मनाया । फिर भी बजट में किसानों को कुछ नहीं मिला।

कोरोना संक्रमण के काल में मोदी ने एक बार फिर विपक्षी दलों पर सरकार की नहीं देश की बदनामी का ठिकड़ा फोड़ने का इल्जाम लगाया । यानी ऑक्सीजन के अभाव में मर रहे लोगों की चर्चा , दिल्ली , मुंबई , चेनई , केरल आदि जगहों के अस्पताल के मुख्य चिकित्सकों द्वारा अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं रहने से मृत्यु की सूचनाएं दी जाने जाने लगी । पीड़ित मरीजों के परिवार के लोगों द्वारा सरकार के हाथ उठा लेने के बाद किसी भी कीमत पर ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने की होड़ लग गई थी । अस्पतालें भी बाहर से ऑक्सीजन लाने की इजाजत दे दी । 50.50 हजार रुपए खर्च कर अपने मरीज को बचाने के लिए लोग कंधे पर , स्कूटर पर लाद कर सिलेंडर पहुंचाते देखे गए । ऑक्सीजन के अभाव में लोगों को मरते तथा परिवार के सदस्यों को रोते हुए टी वी पर लोगों ने देखा । 

मोदी सरकार को मानवता के प्रति असंबेदनशीलता, मौतों की लंबी कतारें , श्मशान घाटों पर लाशों को जलाने के लिए जगह की कमी , लकड़ियों का कम पड़ जाना, सबों ने देखा है और उसी समय में प्रधानमंत्री द्वारा अपने को चमकाने, नमस्ते ट्रंप कराने, कांग्रेस सरकारों को तोड़ कर अपनी पार्टी की सरकार बनाने की व्यस्तता को भी सबों ने देखा है । 

इतना ही नहीं गंगा तथा अन्य नदियों में बहती हुई सैकड़ों लाशों को भी सबों ने देखा है । फिर भी लोक सभा में प्रधानमंत्री का यह कहना कि विपक्ष ने विदेश में भी देश की प्रतिष्ठा को उछाला है , कहां तक सही है ?

काम के अभाव में पेट और परिवार को पालने के लिए बिहार , झारखंड, यू पी के मजबूर नौजवान काम की तलाश में पंजाब , हरियाणा, गुजरात, मुंबई,  चेन्नई, दिल्ली जैसे राज्यों में काम करने जाते हैं । 

कोरोना संक्रमण के दौर में जब कारखाना तथा अन्य मालिकों ने कारखाने बन्द कर दिए। मजदूरों को पैसे भी नहीं दिए और मजदूरों को जीवन और मौत के हवाले छोड़ दिए । 

मकान मालिकों ने घर से निकाल दिए । उनके समान छीन लिए , तब ये मजदूर कहां जाते । क्या यह सरकार की जवाबदेही नहीं थी की उनका रख रखाव किया जाय । तब ये मजदूर अपनी जान को , छोटे छोटे अबोध बच्चों की जान को, बूढ़े माताओं की जान को मौत से बचाने के संघर्ष में आगे बढ़े । तो हरियाणा, मध्यप्रदेश , यू पी सरकारों ने अपने सीमा में जाने से रोक दिया । 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में मजदूरों के प्रवेश पर रोक लगा दिया

प्रधानमंत्री जी कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या से कोई कम संख्या अव्यवस्था से मरने वालों की नहीं थी । फिर भी आप बेकुसूर और बचाने की आवाज देने वाले कसूरवार नवाब साहब जब कहते हैं, तो ठीक ही कहते होंगे.

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