घटना के 32 घण्टे बाद दूसरे के सहयोग से पहुँचे अधीक्षकइंटर्न चिकित्सको पर करवाई करने से घबरा रहे थे अधीक्षक



बेतिया/BETTIAHTIMES
गवर्मेन्ट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गुरुवार को इंटर्न डॉक्टरों ने मामूली विवाद पर एनएम, जीएनएम,मेल फीमेल के साथ स्वास्थ्य कर्मियों जानलेवा हमला कर कइयों को घायल कर दिया था।जिसमे कुछ को इलाज के बाद रेफेर कर दिया गया।कई नर्से अपनी जान बचाने के लिये ओटी में छिप गईं, लेकिन वहाँ भी उनको नही बक्शा।बंद रुम का शीशा तोड़ कर कॉटन जला कर अंदर फेक दिया,ताकि रूम में जल कर मर जाये।इतना ही नही बल्कि स्वास्थ्य कर्मियों की बाइक तक तोड़ दिया गया।अस्पताल के सीसी कैमरे को भी तोड़ने की कोशिश की गई।उसके बाद से सभी एनएम, जीएनएम,मेल फीमेल के साथ स्वास्थ्य कर्मियों ने मोर्चा खोल हुए काम बंद कर धरने पर बैठ गई।हालात ऐसा हो गया कि दो दिन हो जाने के बाद भी कोई भी सिनियर चिकित्सक डियूटी पर नही आया।जिसके कारण एक मरीज की मौत हो गई।हालात को देखते हुए एसडीपीआई के अध्यक्ष मो.मोनासिर के साथ साथ तंजीर अहमद उर्फ भुट्टो अपने सारे कार्यकर्ताओ के साथ अधिछक को लेकर अज़्प्ताल पँहुचे।घटना के लगभग 32 घण्टे बाद दूसरे के साथ अज़्प्ताल पहुँच बात की। शुक्रवार को शाम में जीएमसीएच् के अधिछक जब बात कर रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि ये अंदर से काफी डरे हुए हैं और इंटर्न को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।उन्होंने जांच कमिटी बना डाली और कहा कि जो रिपोर्ट आएगा उस पर करवाई होगी।तब एसडीपीआई के लोगो ने साफ साफ लफ्जो में कहा कि जब तक दोषियों पर करवाई नही होगी तब तक कोई समझौता नही होगा।घटना के 32 घण्टे बाद भी अस्पताल प्रशासन ने अज़्प्ताल के फुटेज को देख तक नही है।नर्सो ने भी साफ कहा कि आप सीसी फुटेज को देखिए और उसमें नजर आए इंटर्न पर करवाई कीजिये।हम लोग हड़ताल खत्म कर देंगे।जब एसडीपीआई के साथ साथ आम पब्लिक का भी समर्थन हड़तालियों को मिलने लगा।जब दबाव काफी बड गया तब आनन फानन में आवेदन पर हस्ताक्षर कर अस्पताल स्थित थाने के इंचार्ज को दिया।इंचार्ज ने बताया कि इस आवेदन की कॉपी को नगर थानाध्यक्ष को सुपुर्द कर देंगे।हस्ताक्षर करने के बाद भगवान भरोशे अस्पताल को छोड़ कर अधिछक और उपाधीक्षक चलते बने।शुक्रवार के ढेर रात्रि हालात ये थे कि अस्पताल में एक भी डॉक्टर डियूटी में नही थे।कहने को तो करोड़ो की लागत से मेडिकल कॉलेज बन गया लेकिन मरीजो को मिलने वाली सुबिधा नदारद है।अब देखना दिलचस्प होगा कि इन दोषियों पर करवाई के नाम पर खानापूर्ति हो रही है या सही में इनके ऊपर अस्पताल प्रशासन द्वारा कोई कारवाई की जा रही ,जिससे ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।

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