अहमद फैज के 111वीं जयंती के अवसर पर सेमिनार, मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन


बेतिया | जनवादी लेखक संघ , पश्चिम चम्पारण द्वारा फैज अहमद फैज के 111वीं जयंती के अवसर पर हम देखेंगे पर सेमिनार , मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन रिक्शा मजदूर सभा भवन , बेतिया में प्रख्यात कवि डॉ गोरख प्रसाद मस्ताना की अध्यक्षता में संपन्न हुआ । 

सर्व प्रथम विषय प्रवेश के रूप में बोलते हुए प्रभुराज नारायण राव ने फैज साहब को भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद के समकालीन बताया । फैज न केवल गुलामी के खिलाफ संघर्ष का नाम है , बल्कि आजादी के बाद देश में सोवियत संघ की तरह समाजवादी व्यवस्था के पैरोकार थे । 

फैज ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध आन्दोलन के एक मजबूत हस्ताक्षर थे। वे कई बार जेल गए । वर्षों भूमिगत रहना पड़ा । हम मेहनत जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे , एक देश नहीं , एक वेश नहीं , हम सारी दुनियां मांगेंगे यह पंक्तियां उनके विचारों को परिलक्षित कर देती है। वे मुहब्बत और लक्ष्य के द्वंद को कितना वेवाक तरीके से सुलझाते हैं कि राहते और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा , और भी गम हैं जमाने में मुहब्बत के सिवा फैज साहब ने जन विरोधी व तानाशाही निजाम को उखाड़ फेक मेहनतकशों के सरकार के हिमायती थेे, तभी तो वो कहते हैं .. हम अहल ए सफा , मरदूद ए हरम मसनद पे बिठाए जायेंगे, सब ताज उछाले जायेंगे 

सब तख्त गिराए जायेंगे जनवादी लेखक संघ, पश्चिम चम्पारण द्वारा आयोजित फैज साहब के जन्म दिन के मौके पर आयोजित सेमिनार हम देखेंगे तथा कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में अपनी बातों नज्मों को रखने वालों में मुख्य रुप से डा जफर इमाम जफर , डा जाकिर हुसैन जाकिर, डा कमरूजमा, सुरेश गुप्त, डा सफी अहमद , डा फखरे आलम , डा ताहिर ,अख्तर हुसैन , जगत राज , अनिल अनल , दिना नाथ द्विवेदी , डा ज्ञानेश्वर गुंजन, शंकर कुमार राव आदि थे ।

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