Bettiah News: बिहार बंद! रेल मंत्री सामने आएं. बिहार बंद रहा सफल- आइसा- इनौस

जांच कमिटी बनाने का प्रस्ताव झांसा, रेल मंत्री सामने आएं बिहार बंद रहा सफल- आइसा- इनौस।

आरआरबी एनटीपीसी के पीटी रिजल्ट में पदों का 20 गुणा संशोधित रिजल्ट जारी करों

ग्रुप डी में केवल एक परीक्षा के पुराने नोटिफिकेशन पर अमल करों.

आंदोलनकारी छात्रों का दमन अभियान तत्काल बंद करों और सभी मुकदमा वापस लो।

छात्र संगठन आइसा व नौजवान संगठन इनौस ने आरआरबी एनटीपीसी की परीक्षा के रिजल्ट में धांधली तथा ग्रुप डी की परीक्षा में एक की जगह दो परीक्षाएं आयोजित करने के तुगलकी फरमान के खिलाफ बिहार बंद को सफल बनाने के लिए शहीद पार्क से बंद कराते हुए समाहरणालय गेट के सामने कुछ समय के लिए सड़क जाम किया जिसमें छात्र नौजवानों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया, 

बंद के दौरान इनौस जिला अध्यक्ष फरहान राजा ने कहा कि चल रहे छात्र-युवा आंदोलन के दबाव में रेलवे प्रशासन द्वारा जांच कमिटी बनाने और ग्रुप डी की परीक्षा को स्थगित करने को दिए गए आश्वासन झांसा हैं.

इनौस के राष्ट्रीय परिषद सदस्य सुरेन्द्र चौधरी व आइसा के जिला अध्यक्ष अभिमन्यु राव ने कहा कि अभ्यर्थियों द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर किसी भी प्रकार का संदेह नहीं है. चरम बेरोजगारी की मार झेल रहे छात्र-युवाओं का यह व्यापक आंदोलन ऐसे वक्त खड़ा हुआ है, जब यूपी में चुनाव है. इसी के दबाव में सरकार व रेलवे का यह प्रस्ताव आया है और चुनाव तक इस मामले को टालने की साजिश रची जा रही है. लेकिन विगत 7 वर्षों से देश के युवा मोदी सरकार के छलावे को ही देखते आए हैं. और यही वजह है कि उनका गुस्सा इस स्तर पर विस्फोटक हुआ है.

इनौस नेता सुबास चन्द्र कुशवाहा ने कहा कि यदि सरकार सचमुच अभ्यर्थियों की मांगों पर गंभीर होती तो इतने बड़े मसले पर रेल मंत्री खुद सामने आकर अभ्यर्थियों से तत्काल बात करते. लेकिन एक तरफ जांच कमिटी का झांसा है, तो दूसरी ओर बर्बर तरीके से हर जगह छात्र-युवाओं पर दमन अभियान भी चलाया जा रहा है. इससे सरकार की असली मंशा साफ-साफ जाहिर हो रही है.

आगे पूछा कि स्नातक स्तरीय 35277 पदों के लिए हुई परीक्षा के पीटी रिजल्ट को लेकर उठाए जा रहे सवाल को समझने में रेलवे प्रशसन को क्या दिक्कत है, जो वह जांच कमिटी का झुनझुना थमा रही है. कोई एक अभ्यर्थी एक से अधिक पदों पर सफल हो सकता है, लेकिन वह एक अभ्यर्थी ही है और इसलिए उसकी गिनती एक व्यक्ति के बतौर ही होनी चाहिए न कि अनेक. इस तरह 7 लाख अभ्यर्थियों की जगह सही अर्थों में महज 2 लाख 76 हजार अभ्यर्थियों को ही चयनित किया जा रहा है और 4 लाख 24 हजार अभ्यर्थियों (यानी दो तिहाई) को रोजगार के मौके से ही बाहर कर दिया जा रहा है. 

आइसा-इनौस के नेता संजय मुखिया, की मांग है कि रेल मंत्रालय 7 लाख संशोधित रिजल्ट फिर से प्रकाशित करे.

माले नेता सुनील कुमार राव ने कहा कि जहां तक ग्रुप डी का मामला है, उसमें परीक्षा स्थगित की गई है. यह समझ से परे है कि ग्रुप डी तक की नौकरियों के लिए दो परीक्षा क्यों होगी? इसमें भी अभ्यर्थियों की साफ मांग है कि पहले के नोटिफिकेशन के आधार पर केवल एक परीक्षा ली जाए और दूसरे नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए. इसमें भी कोई कन्फयूजन नहीं है. रेलवे जानबूझकर मामले को उलझा रहा है. छात्र-युवा इस बार सरकार के झांसे में नहीं आने वाले हैं.

आइसा-इनौस नेता सोनू चौवे, धर्मेन्द्र कुमार ने तमाम अभ्यर्थियों से सरकार की असली मंशा को बेनकाब करने का आह्वान किया.

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