जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई से प्राप्त दिशा-निर्देशों को एक सप्ताह के अंदर पूर्ण कराने का निदेश
बेतिया। जिला प्रशासन द्वारा पश्चिमी चम्पारण जिले के विश्व विख्यात मरचा चूड़ा को जीआई टैग दिलाने हेतु हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।
जिलाधिकारी, पश्चिमी चम्पारण के दिशा-निर्देश के आलोक में अधिकारियों की एक पूरी टीम मरचा चूड़ा को जीआई टैग दिलाने के लिए करीब एक साल से कार्य कर रही है। यह प्रयास अब अंतिम चरण में है, शीघ्र ही जिले के मरचा चूड़ा को जीआई टैग मिलने की प्रबल संभावना है।
इसी परिप्रेक्ष्य में आज जिलाधिकारी, कुंदन कुमार की अध्यक्षता में एक समीक्षात्मक बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक में वरीय उप समाहर्ता, राजकुमार सिन्हा, जिला कृषि पदाधिकारी, विजय प्रकाश सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।
समीक्षा के क्रम में वरीय उप समाहर्ता द्वारा बताया गया कि जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई द्वारा कुछ दिशा-निर्देशों का अनुपालन करने हेतु निदेशित किया गया है। दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई को समर्पित करने के उपरांत वहां के एक्सपर्ट अधिकारियों का दल पश्चिम चम्पारण में भ्रमण करेंगे। इसके उपरांत मरचा चूड़ा को जीआई टैग मिलने की संभावना है।
जिलाधिकारी ने निदेश दिया कि जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई द्वारा मांगे गये सभी पृच्छाओं को एक सप्ताह के अंदर पूरा किया जाय। इस कार्य में डॉ0 एन0 के0 सिंह, वैज्ञानिक आरपीसीयू की सहायता ली जाय। उन्होंने निदेश दिया कि रिसर्च डाटा पूरा कराने के लिए जिला कृषि पदाधिकारी स्वयं संबंधित वैज्ञानिकों से समन्वय स्थापित करते हुए करायेंगे।
ज्ञातव्य हो कि जीआई टैग हेतु डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विद्यालय, पूसा के वैज्ञानिकों द्वारा मरचा धान का डीएनए फिंगर प्रिंटिंग का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। साथ ही बायोकेमिकल एनालिसिस का कार्य भी अंतिम चरण में है।
मरचा धान/चूड़ा का निबंधन (जीआई टैग) हो जाने के बाद मरचा धान के चूड़ा की मांग देश-विदेशों में पूरी की जा सकेगी। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी तथा रोजगार भी वृद्धि होगी।
मरचा धान को जीआई टैग दिलाने के लिए आवश्यक एक्सपेरिमेंट पिछले एक साल से किया जा रहा है। जीआई स्पेस्फिक एरिया और नन जीआई एरिया में मरचा धान का उत्पादन किया जा रहा है।
मरचा धान के प्लांट को केवीके, माधोपुर में भी लगाकर उस पर स्टडी किया गया है। पश्चिमी चम्पारण जिले के विकास में मरचा चूड़ा को जीआई टैग मिलना अत्यंत ही कारगर साबित होगा। इससे किसानों का जहाँ आर्थिक विकास होगा वहीं रोजगार बढ़ाने में भी मददगार साबित होगा।
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