मुसलमानों के तरक्की पाने का एक ही रास्ता है, वह तालीम:अमीरे शरियत

बेतिया/BETTIAHTIMES

तकरीक करते अमीरे शरीयत

इमारते- ए-शरिया सिर्फ एक तंजीम या संस्था का नाम नही है। 

हर छेत्र में ये वर्षो से लगातार काम करता आ रहा है।नए अमीरे शरीयत के आने के बाद नए तरीके से काम करने की कवायद शुरू कर दी गई है।

उक्त बातें अमीरे शरीयत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने लोगो को संबोधित करते हुए कही। मुसलमानों में तालीम की कमी के वजह से तरह तरह की परेशानी आती है।इस परेशानी को हमारे समाज के द्वारा बुलाई जाती है। आज हालात ऐसी है कि तालीम में मुसलमानों का प्रतिशत बिल्कुल ही कम है । उन्होंने बताया कि मात्र 4-5प्रतिशत मुस्लिम लड़के और लड़कियां ग्रेजुयट हो पाते हैं। जबकि 17 प्रतिशत बच्चे मैट्रिक कर पाते हैं वही हाल नीचे के बच्चो का भी है।इन सब हालत को देलहते हुए इमारत ने हर दो-तीन वार्ड मिलाकर छोटे बच्चो का स्कूल खोलने की योजना बना रहे।

साथ ही हर जिले में आवासीय विद्यालय, सीबीएससी पैटर्न पर भी स्कूल खोलने, पैरामेडिकल, आईटीआई खोलने के साथ साथ परीक्षा की तैयारी के लिये भी बच्चो को हर सुविधा देने की योजना इमारत बना रहा है इसके लिये जिले के मुसलमानों से सहयोग करने की अपील अमीरे शरीयत ने की है।उन्होंने आवाम से कहा कि आप इमारत का हर तरह से सहयोग कीजिये इमारत आपकी राहे आसान कर देगा।जिले के लोगो से अपनी बच्चियों को तालीम देने में कोताही करने से मना फरमाया है।

एक बच्ची तालीम हासिल करेगी तो पूरे समाज को बदल देगी। वही नायब अमीरे शरीयत मौलाना शमसाद अहमद रहमानी कासमी ने कहा कि इमारत 1921 से कायम है।उस समय से लेकर अब तक समाज के भलाई का काम करता आ रहा है।उन्होंने कहा कि कुरान में अल्लहा ताला ने साफ लफ्जो में तालीम हाशिल करने और फैलाने का हुक्म दिया।औरत हो या मर्द सबो को तालीम हाशिल करने का हक। दिया है।आज हमारा समाज तालीम से दूर हो गया है जिससे तरह तरह की परेशानिया आ रही है। 

तालीम की बुनियाद पर हैम ऊँचे से ऊँचे ओहदे पा सकते हैं।अब इमारत ये काम शुरू कर दिया है।मोके पर प्रो.सफदर इमाम कादरी,जाकिर बलीग़,प्रो.रूहल अमीन,इरशाद अख्तर उर्फ दुलारे मौजूद थे।

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