बीता वर्ष सरकारी तानाशाही और कोरोना महामारी की कड़वी यादों के साथ- साथ ऐतिहासिक किसान आंदोलन के जीत के रूप में याद किया जाएगा- वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता

भाकपा माले केन्द्रीय कमिटी सदस्यता सह सिकटा विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि नया वर्ष 2022 स्वागत के लिए दरवाजे पर खड़ा है। 2021 की यादें बड़ी कड़वी और भयावह रहीं।  लोग अस्पतालों में और अस्पतालों से बाहर डाक्टर और आक्सीजन के अभाव में दम तोड़ते रहे.

इस दौरान एक समय ऐसा भी आया जब महामारी से संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए पैसा और पावर सभी बेअसर हो गए। बड़े से बड़े धन्ना सेठ भी आक्सीजन सिलेंडर व अस्पतालों में बेड के लिए अपनों की जान बचाने के लिए आंखों में पानी भरे दर-दर भटकते दिखाई पड़े और सरकार गाल बजाती रहीं,  बाढ़ से बर्बाद धान और गन्ना फसल मुआवजा देने के लिए किसान लगतार आवाज उठाते रहे, मगर नीतीश सरकार एक न सुनीं, कारण किसानों का खेती लगतार घटा में जा रहा है. 

रवी और खरीफ फसलों की बुवाई के समय यूरिया, डीएपी उर्वरक की किल्लत किसानों के लिए संकट स्थाई बन चुका है, सरकार गूंगी बहरी बनी रहीं हैं, नई शिक्षा नीति 2020 के जरिये प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक गरीबों कमजोर वर्ग के बच्चों से शिक्षा छीना गया है या शिक्षा से दूर करने में सरकार लगीं हुईं है, वही 2021 बेरोजगारी के आकड़े सबसे उच्चतर स्तर पर पहुँच गया है, रोजगार की मांग कर रहे छात्र नौजवानों पर सरकार लाठीचार्ज कर आवाज दबाने का काम सरकार किया है, इतना ही नहीं सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की मंथली सीरीज पर आधारित सेंटर फॉर इकोनॉमिक डेटा एंड एनालिसिस में कहा गया है कि पांच साल की तुलना में वर्ष 2020-21 में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में नौकरियां की संख्या घट कर आधी रह गई है.

मोदी सरकार द्वारा भारतीय इतिहास को बदल कर आरएसएस गलत तरीके से लिखने की कोशिश कर रहा है, वही धर्म संसद के नाम पर देश में अशांति फैलाने का काम कर रहा है, 

मोदी सरकार ने तीनों कृषि काला कानून के जरिये  जो खेती को गुलाम बनाने की कोशिश किया था जिसके खिलाफ कृषक वर्ग अपनी माँगों को लेकर सड़कों पर ररात-दिन बिताया, और किसानों ने अंतिम तौर पर तानाशाह, फासिस्ट और कारपोरेट दलाल मोदी सरकार को झुकने और माफी मांगने को मजबूर किया और ऐतिहासिक जीत हासिल किया जो साल 2022 में नया कृतमान स्थापित करेगा.

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