उर्दू अदब को एक नया आयाम देना और शायरी को बुलंदियों तक पहुँचानेवाले मशहूर शायर असरफ कादरी के याद में मुशायरा
उर्दू अदब को एक नया आयाम देना और शायरी को बुलंदियों तक जिले ही नही जिले से बाहर भी पहुँचानेवाले मशहूर शायर असरफ कादरी के याद में मुशायरा और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
गुरुवार की रात्रि शायर डॉ.जफर इमाम कादरी के आवास पर देर रात्रि तक मुशायरा और कवि सम्मेलन का दौर चलता रहा। उर्दू शायरी को अंतर्राष्ट्रीय पहचान देने वाले मशहूर शायर सिवान निवासी फ़हीम जोगापुरी ने कहा कि तुम अंधेरे की बात करते हो। रोशनी मर गई उजालो में। कितने जालिम हैं वह घर के चेराग फेक आते हैं जाके नालो में। उन्होंने बड़ी ही खूबसूरत अंदाज़ में समाज मे फैली भूर्ण हत्या को अपनी शायरी के द्वारा समाज को आइना दिखाया। गोष्ठी की अध्यक्षता श्री अबुल ख़ैर निश्तर ने की और मंच का संचालन सुरेश गुप्त ने की।युवा शायर मो.जाकिर ने अपनी कहानी के द्वारा गांव में फैलती शहरीकरण के कारण समाज मे तनाव फैल गया गया।
साथ ही शहरीकरण के कारण सभ्यता और सँस्कृति धूमिल हो रही है। डॉ.ज़ाकिर हुसैन ज़ाकिर ने अपनी शायरी से स्रोताओं को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया।
डॉ.ज़फर इमाम'ज़फ़र ने अपनी शायरी के माद्यम से कहा कि समाज मे फैली बुराइयों को खत्म करते रहिए।इसके लिये लोगो की चिंता नही करनी चाहिये। हमेशा लोगों की मदद के लिये तैयार रहना चाहिये।कवि डॉ.गोरख मस्ताना ने इश्क और प्यार के ऊपर कविता सुना कर लीगो को हसने पर मजबूर कर दिया। वृध शायर अबुल खैर नश्तर ने अपनी शायरी में समाज मे फैली गंदगियों को साफ करने और नफरतों को खत्म करने पर जोर दिए।
रूप रेखा कब बदल जाए ख़ुदा
फूल से खुशबू कब निकल जाए ख़ुदा
महवे हैरत हूँ मैं मंज़र देख कर
चांदनी से खेत जल जाए ख़ुदा।
मौके पर एमजेके कॉलेज के ऊर्दू के प्रो.फखरे आलम,प्रो.शफी अहमद, नसीम अहमद,एस0ए0शकील।
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